सनातन धर्म में जनेऊ संस्कार को विशेष महत्व होता है। संस्कृत में इसे यज्ञोपवीत के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि जनेऊ पहनने से क्या लाभ होते हैं?
यह तीन धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं। इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठ ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई हैं।
इसे पहनने के बाद कई नियमों का पालन किया जाता है। ऐसा करने से जनेऊ पहनने का पूरा लाभ मिलता है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
जनेऊ पहनने से वाले लोगों से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। इसके साथ ही, बुरी शक्तियों से भी छुटकारा मिलता है। इससे व्यक्ति के अंदर सकारात्मकता बनी रहती है।
कान पर रोजाना जनेऊ रखने से व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता बढ़ने लगती है। इसके अलावा, कान और दिमाग की नसें एक्टिव रहती है।
जनेऊ धारण करने वाले लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि जनेऊ में भगवान का वास रहता है। इससे पहनने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को आसानी से पा लेता है।
जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। हार्ट से जुड़ी समस्या होने का भी खतरा कम रहता है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल रहता है।
मल-मूत्र विसर्जन करने से पहले जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लें। इसके बाद हाथ धोने के बार भी इसे कान से उतारना चाहिए। ऐसा करने से पवित्रता बनी रहती है।
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