हिन्दू धर्म में भगवत गीता को सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। जिनमें कर्म करने की शिक्षा दी गई है।
आज हम आपको बताएंगे कि गीता के अनुसार किस प्रकार के लोग कभी सफल नहीं हो पाते? आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
जो लोग अपने कर्मों के अलावा मन में कोई भी अन्य विचार लाते हैं, वो लोग अपने लक्ष्य से आसानी से भटक जाते हैं।
गीता के अनुसार व्यक्ति को कभी भी अपने कर्मों पर संदेह नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति अपना ही नुकसान कर बैठता है और वह सफल नहीं हो पाता।
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। नियंत्रण न रखने से बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं।
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपने भीतर छिपे डर को खत्म करना जरूरी है। डर को खत्म न करने से आप जीवन भर असफल रहेंगे।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी यही शिक्षा दी थी और कहा था कि अगर युद्ध में तुम मारे गए तो स्वर्ग मिलेगा और अगर जीत गए तो धरती पर राज मिलेगा।
गीता के अनुसार जो मनुष्य किसी भी वस्तु के प्रति बहुत अधिक लगाव रखता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता क्योंकि लगाव ही मनुष्य की असफलता का कारण बनता है।
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