यमुनोत्री में देखी केदारनाथ जैसी जल प्रलय
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हमने केदारनाथ त्रासदी तो नहीं देखी, लेकिन कल रात जो कुछ दे
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हमने केदारनाथ त्रासदी तो नहीं देखी, लेकिन कल रात जो कुछ देखा वह उससे कम नहीं था। दर्शनों के लिए यमुनोत्री धाम पहुंचे गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से आए सोहन सिंह हादसे के आठ घंटे बाद भी सामान्य नहीं हो पाए थे। वह कहते हैं 'आधी रात को मैं और मेरी बेटी नींद में थे, एकाएक गड़गड़ाहट की आवाज से हम लोग जाग गए। बाहर जो कुछ देखा उससे रूह कांप गई।'
52 वर्षीय सोहन सिंह अपने परिवार के साथ उन 11 यात्रियों में शामिल थे जो यमुनोत्री में आई जल प्रलय के गवाह हैं। जानकीचट्टी से फोन पर वह बताते हैं कि यमुना में बहकर आ रहे विशाल पत्थर और पेड़ों के साथ मलबा ऐसा दृश्य उत्पन्न कर रहा था मानो सबकुछ खत्म होने वाला हो। उनकी 24 वर्षीय बेटी प्रीति सिंह बताती हैं कि तेज बारिश के बीच यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। कुछ लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में इधर उधर भाग रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसे में धाम में मौजूद पुलिस के जवानों ने सभी को एक धर्मशाला के परिसर में एकत्र कर ढाढस बंधाया। वह बोलीं पौ फटने तक बरामदे में बैठ सभी भगवान को याद करते रहे। सुबह नजारा भयावह था। पूरा भूगोल ही बदला हुआ था। वह कहती हैं यह भगवान की कृपा ही थी कि सभी सलामत हैं।
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केदारनाथ की भांति मास्टर प्लान के तहत हों यमुनोत्री में निर्माण कार्य
यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष और तीर्थ पुरोहित पवन उनियाल कहते हैं कि शुक्र है जनहानि नहीं हुई, लेकिन मंजर केदारनाथ आपदा जैसा ही था। वह कहते हैं कि यमुनोत्री धाम में वर्ष 2004 से अब तक चार बार बादल फटने से क्षति हुई है। बावजूद इसके सरकार हालात की गंभीरता समझने तैयार नहीं है। उन्होंने मांग की कि केदारनाथ की तर्ज पर मास्टर प्लान के तहत यमुनोत्री में निर्माण कार्य कराए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस बार मांग पर कार्यवाही न की गई तो तीर्थ पुरोहित यमुनोत्री धाम की यात्रा रोकने पर भी विवश हो सकते हैं।