नई जड़ी-बूटी व पादपों की खोज में निकले आचार्य बालकृष्ण, रक्तवन क्षेत्र में शुरू हुआ संयुक्त अन्वेषण अभियान
Uttarakhand News नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और पतंजलि की टीम रक्त वन ग्लेशियर क्षेत्र में पर्वतारोहण करेगी। वहां मौजूद जड़ी बूटियों की खोज और उन जड़ी बूटियों को लेकर शोध भी करेगी।सोमवार की शाम को 16 सदस्यीय संयुक्त टीम उत्तरकाशी से रवाना होगी।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान दिल्ली का साझा अन्वेषण अभियान शुरू हो गया। गंगोत्री हिमालय के रक्तवन क्षेत्र में इस अभियान का नेतृत्व निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण कर रहे हैं।
इस संयुक्त अभियान का उद्देश्य अनाम चोटियों के आरोहण के साथ ही नई जड़ी-बूटी व पादपों की खोज करना है। ताकि हिमालय की नई वनस्पतियों को भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण देहरादून के डाटा में जोड़ा जा सके।
वर्ष 1981 में रक्तवन क्षेत्र में भारत-फ्रांस का साझा पर्वतारोहण अभियान हुआ था। लेकिन, तब श्याम वन ग्लेशियर से आगे वह दल नहीं जा पाया। इसके बाद से रक्तवन क्षेत्र में यह दूसरा अभियान है, जिसका लक्ष्य श्याम वन ग्लेशियर से आगे पीला पानी ग्लेशियर क्षेत्र में जाने का है।
23 सितंबर तक चलेगा यह अभियान
सोमवार को निम उत्तरकाशी में अन्वेषण अभियान को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह अभियान 23 सितंबर तक चलेगा। पतंजलि योगपीठ से उनके साथ जड़ी-बूटी विशेषज्ञ डा. राजेश मिश्रा व वनस्पति विज्ञानी डा. भाष्कर जोशी शामिल होंगे।
इसके अलावा कर्नल अमित बिष्ट और निम के प्रशिक्षक दीप शाही, विनोद गुसाईं व आइएमएफ के बिहारी सिंह राणा भी इसका हिस्सा होंगे। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस अन्वेषण अभियान का उद्देश्य देश को आध्यात्मिक संस्कृति व प्रकृति से जोड़ना और नई जड़ी-बूटी व पादपों की खोज करना है।
अभियान दल रक्तवन क्षेत्र में सभी प्रकार की वनस्पति का डाटा लेकर आएगा। इसके बाद हरिद्वार में नए औषधीय पादपों पर शोध होगा। आचार्य ने कहा कि अब उम्र भी बढ़ रही है, इसलिए इस साहसिक कार्य के लिए
उन्होंने समय निकाला है। इससे अध्यात्म, आयुर्वेद, देश एवं देशवासियों को लाभ होगा। हिमालय के गर्भ में क्या है, यह हमारी क्षमताओं पर निर्भर है। इस अन्वेषण अभियान के लिए उन्होंने वन विभाग से विधिवत रूप से अनुमति ली है।
1981 के बाद रक्तवन क्षेत्र में विचरण करेंगे पर्वतारोही
निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट कहते हैं कि वर्ष 1981 में भारत-फ्रांस का एक संयुक्त दल प्रसिद्ध पर्वतारोही हरीश कपाड़िया के नेतृत्व में रक्तवन क्षेत्र में आरोहण के लिए गया। जहां उस टीम ने चतुर्भुजी, मैत्री, कालीढांग, नार्थ कौल चोटियों की खोज की।
साथ ही श्याम वन ग्लेशियर तक जाने के बाद वापस लौटा। तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र में कोई दल नहीं गया। इसलिए संयुक्त टीम का लक्ष्य श्याम वन ग्लेशियर से आगे पीला पानी ग्लेशियर व श्वेत वन ग्लेशियर क्षेत्र में विचरण के साथ हिमालय के उस क्षेत्र का अध्ययन करना है।
गंगोत्री की पावन भूमि से मिली योग को ख्याति
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वर्ष 1993 में वह पहली बार गोमुख के तपोवन गए थे। तब रात्रि विश्राम तपोवन में माता तपोवनी की कुटिया में किया था। कई वर्षों तक गंगोत्री में बाबा रामदेव और उन्होंने योग साधना की। यह गंगोत्री की ही पावन भूमि है, जहां से योग की ख्याति दुनियाभर में गूंज रही है। योग को एक प्रतिष्ठा, सम्मान और व्यापकता मिली है।