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लोनिवि की नाकामी से तिलोथ पुल अधूरा

कलक्ट्रेट से 100 मीटर की दूरी पर स्थित छह साल से निर्माणाधीन तिलोथ पुल का निर्माण लोनिवि के अधिकारियों के नाकामी का सबूत है। वर्ष 2013 की आपदा में टूटे इस पुल का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। पुल का निर्माण धीमी गति से चल रहा है। निर्माण की यही स्थिति रही तो दो वर्ष और लगने तय हैं। और इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 06:47 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 06:47 PM (IST)
लोनिवि की नाकामी से तिलोथ पुल अधूरा
लोनिवि की नाकामी से तिलोथ पुल अधूरा

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : कलक्ट्रेट से 100 मीटर की दूरी पर स्थित छह साल से निर्माणाधीन तिलोथ पुल का निर्माण लोनिवि के अधिकारियों के नाकामी का सबूत है। वर्ष 2013 की आपदा में टूटे इस पुल का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। पुल का निर्माण धीमी गति से चल रहा है। निर्माण की यही स्थिति रही तो दो वर्ष और लगने तय हैं। और इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

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उत्तरकाशी और तिलोथ के बीच भागीरथी नदी 102 मीटर लंबे स्पान का मोटर पुल था। पुल का 42 मीटर हिस्सा वर्ष 2013 की आपदा में पूरी तरह से नदी में बह गया था। इस स्थान पर अस्थायी व्यवस्था के लिए बेली ब्रिज बनाया, लेकिन इस ब्रिज में बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंध है। जबकि यह पुल बाडागड्डी, लंबगांव तथा केदारनाथ मार्ग को भी जोड़ता है। इस बेली ब्रिज की स्थिति जर्जर होने के कारण इस पुल पर वाहन की आवाजाही प्रतिबंध है। 42 मीटर लंबे स्पान वाले हिस्से के नव निर्माण के लिए लोनिवि ने वर्ष 2014 में 8.39 करोड़ का स्टीमेट तैयार किया था। वर्ष 2016 में इसका निर्माण भी शुरू हुआ। पर, जून 2018 से इस पुल पर कुछ भी निर्माण नहीं हो पाया। इस आधे पुल को बनाने के लिए लोनिवि के इंजीनियरों ने वेल फाउंडेशन का नक्शा तो बनाया। पर हार्ड राक के रेट तय नहीं किए। अनुबंध के मुताबिक ठीकेदार ने अक्टूबर 2018 में निर्माण पूरा करना था। फिर हार्ड-राक के रेट तय होने को लेकर लोनिवि और ठीकेदार के बीच विवाद चला। वर्ष 2020 में नया अनुबंध हुआ। लेकिन, अब फाउंडेशन की हार्ड-राक को तोड़ने का काम बेहद ही धीमी गति से चल रहा है। इसके साथ ही इस निर्माणाधीन पुल के पास से होकर तिलोथ को जोड़ने वाला रास्ता भी खतरे की जद में है।

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तिलोथ पुल की वेल फाउंडेशन का कार्य करीब चार मीटर बचा हुआ है। करीब 17 मीटर हो चुका है। जनवरी 2022 तक यह कार्य पूरा हो जाएगा और मार्च 2022 तक पुल तैयार हो जाएगा। ठीकेदार को तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण सावधानी से कार्य करना पड़ रहा है। इसलिए भी कुछ समय लगा है।

-प्रवीण कुश, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड उत्तरकाशी


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