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बारिश की बूंदों से खेतों में हरियाली, जीवन में खुशहाली

बारिश की एक-एक बूंद सहेज कर भड़कोट गांव के 10 परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं। ये परिवार वर्षा जल संग्रह के जरिये खेतों की सिचाई कर बागवानी और सब्जी उत्पादन भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 10:28 PM (IST)
बारिश की बूंदों से खेतों में हरियाली, जीवन में खुशहाली

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

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बारिश की एक-एक बूंद सहेज कर भड़कोट गांव के 10 परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं। ये परिवार वर्षा जल संग्रह के जरिये खेतों की सिचाई कर बागवानी और सब्जी उत्पादन भी कर रहे हैं। इन परिवारों ने मकान की छत और आंगन का पानी पॉलीथिन के टैंक में एकत्र किया है। इस तकनीक को अपनाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी) ने ग्रामीणों को प्रेरित किया।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के भड़कोट गांव में पानी का संकट है। सिचाई के लिए पानी न होने के कारण ग्रामीण सब्जी उत्पादन और बागवानी नहीं कर पा रहे थे। तीन वर्ष पहले कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ ने ग्रामीणों की समस्याओं को जाना और ग्रामीणों को वर्षा जल संग्रह के लिए प्रेरित किया। भड़कोट गांव के गंभीर सिंह राणा कहते हैं, वर्षा जल संग्रह के लिए उन्होंने खेत के एक कोने पर गड्ढा तैयार किया। इसके बाद उसकी सतह पर एक बड़ी पॉलीथिन बिछाई, जो कृषि विज्ञान केंद्र ने उपलब्ध कराई। इसके बाद उन्होंने मकान की छत और आंगन का पानी पाइपों के जरिये टैंक तक पहुंचाया। अब बरसात में घर की छत और आंगन का पानी पॉलीथिन टैंक में एकत्र होता है, जो कई महीनों तक सुरक्षित रहता है। बारिश न होने पर इसका सिचाई के लिए उपयोग कर रहे हैं। बारिश के इसी पानी का उपयोग कर वे हर सीजन में 50 हजार से अधिक की सब्जी बेच रहे हैं। इसी तरह से गांव की गंगा देवी बताती हैं, वर्षा जल संग्रह के लिए पॉलीथिन टैंक बनाते ही सिचाई का संकट दूर हो गया है। वे गांव में खीरा, टमाटर, भिडी आदि सब्जी का उत्पादन कर रही हैं। इसी गांव के जीत सिंह राणा कहते हैं, बारिश का जो पानी बहकर चला जाता था, अब उसका उपयोग वे आवश्यकता के अनुरूप नकदी फसल उत्पादन में कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के उद्यान विशेषज्ञ डॉ. पंकज नौटियाल कहते हैं, निक्रा(जलवायु समुत्थानशील कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार) परियोजना के तहत वर्षा जल संग्रह के लिए पॉलीथिन टैंक बनवाए गए। इन टैंकों पर बारिश से 12 हजार और 15 हजार पानी एकत्र हो रहा है। असिचित भूमि व बगीचों के लिए ये पॉलीथीन टैंक वरदान साबित हो रहे हैं तथा बारिश के पानी का सदुपयोग किया जा रहा है।

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बारिश की एक-एक बूंद को संचित करने का यह सबसे आसान तरीका है। इसमें केवल गड्ढा खोदने और पॉलीथिन का ही खर्चा होता है। काफी कम धनराशि में यह टैंक तैयार किया जाता है। टैंक का डिजाइन विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने बनाया है। अन्य ग्रामीण भी इससे प्रेरित हो रहे हैं।

डॉ. चित्रांगद सिंह राघव, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ (विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान)


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