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बुग्यालों में चुगान की अनुमति न मिलने से वन गुर्जर परेशान

गोविद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की सख्ती व बुग्यालों में चुगान की अनुमति न मिलने से मैदानी क्षेत्रों से सैकड़ों मवेशियों को लेकर पहुंचे वन गुर्जर खासे परेशान हैं। वन गुर्जरों के डेरे पुरोला नैटवाड़ मोरी मियांगाड़ नासना तपड़ क्षेत्र में सड़कों के किनारे लगे हुए हैं। वन गुर्जरों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बुग्याल क्षेत्र में हर वर्ष की तरह चुगान की अनुमति देने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 11:05 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 11:05 PM (IST)
बुग्यालों में चुगान की अनुमति  न मिलने से वन गुर्जर परेशान
बुग्यालों में चुगान की अनुमति न मिलने से वन गुर्जर परेशान

संवाद सूत्र, पुरोला : गोविद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की सख्ती व बुग्यालों में चुगान की अनुमति न मिलने से मैदानी क्षेत्रों से सैकड़ों मवेशियों को लेकर पहुंचे वन गुर्जर खासे परेशान हैं। वन गुर्जरों के डेरे पुरोला, नैटवाड़, मोरी, मियांगाड़, नासना तपड़ क्षेत्र में सड़कों के किनारे लगे हुए हैं। वन गुर्जरों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बुग्याल क्षेत्र में हर वर्ष की तरह चुगान की अनुमति देने की मांग की है।

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वन गुर्जर इरशाद सुलेमान ने कहा कि 2013-14 में तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें राज्य के जंगलों में वन गुर्जरों को चुगान करवाने की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा कि वे सदियों से ग्रीष्मकाल के चार महीने अपने पशुओं को गोविद वन्यजीव विहार पार्क नैटवाड़ के रूपीन, सुपीन, सांकरी के जंगलों में चुगाने आते हैं। इसके लिए पार्क प्रशासन उन्हें परमिट जारी करता है। कितु पार्क अधिकारियों ने कोविड-19 का बहाना कर वन गुर्जरों को जंगलों में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया है। जिसके कारण उनके मवेशियों की जगह-जगह भूख से मौत हो रही है। साथ ही वन गुर्जरों को अपने बच्चों के खाने का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है। सड़कों के किनारे डेरा जमाए दो सप्ताह हो गया है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं।

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पार्क क्षेत्र के रूपीन, सुपीन व सांकरी रेंज के दर्जनों गांव में सैकड़ों ग्रामीण कोरोना से संक्रमित हैं। पार्क के जंगलों में रहकर गुर्जर दूध का व्यवसाय करते हैं। दूध लेकर नैटवाड़ मोरी आदि निकटवर्ती गांवों में आते हैं, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा है।

- कोमल सिंह, उप निदेशक गोविद वन्यजीव विहार


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