उत्तरकाशी में सिर्फ जुबानी जमा खर्च हो रही है जैविक खेती, पढ़िए पूरी खबरी
जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन ग्रामीण अंचल में किसानों को जैविक उत्पाद तैयार करने की जानकारी तक नहीं।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन ग्रामीण अंचल में किसानों को जैविक उत्पाद तैयार करने की जानकारी तक नहीं। वह न तो जैविक खाद तैयार करना जानते हैं और न जैविक खेती के मूल तौर-तरीके ही। यही वजह है कि उत्तरकाशी जिले में घोषित जैविक ब्लॉक डुंडा में पांच प्रतिशत किसानों पास भी जैविक खाद के पिट नहीं हैं।
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड को जैविक प्रदेश बनाने की कवायद शुरू हुई थी। वर्ष 2003 में जैविक उत्पाद परिषद का गठन किया गया। इसके ठीक 12 वर्ष बाद 2015 में हर जिले में जैविक ब्लॉक चुने गए। इसी के तहत उत्तरकाशी जिले के डुंडा ब्लॉक को जैविक ब्लॉक बनाने की तैयारी शुरू हुई। जैविक उत्पाद परिषद की ओर से दो वर्ष पहले ब्लॉक के सात हजार किसानों का चिह्नीकरण किया गया। इन सभी के खेतों में जैविक खाद तैयार करने के लिए जैविक खाद पिट तैयार करवाए जाने थे। लेकिन, हकीकत यह है कि पूरे ब्लॉक में सिर्फ 300 किसानों के ही जैविक खाद पिट बनाए जा सके।
कृषि विभाग और जैविक बोर्ड के पास बजट न होने के कारण जैविक खाद पिट की योजना जहां की तहां ठहर गई। साथ ही गांव में जैविक खेती जागरुकता कार्यक्रम पर भी ब्रेक लग गया। कृषि विभाग के अनुसार वह किसानों को जैविक बीज और जैविक दवाइयां दे रहा है। लेकिन, इस बात का विभाग के पास कोई प्रमाण नहीं है कि किसानों के तैयार उत्पादों के कितने सैंपल भरे गए। कितने किसानों के खेतों की मिट्टी जांचकर उसके अनुरूप जैविक दवाइयां दी गईं।
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बोले अधिकारी
गोपाल सिंह भंडारी (प्रभारी मुख्य कृषि अधिकारी, उत्तरकाशी) का कहना है कि विभाग को अभी केवल यही निर्देश हैं कि किसानों को जैविक बीज और दवाइयां उपलब्ध करानी है। किसी काश्तकार के उत्पाद की अभी सैंपलिंग नहीं की गई है। इसके लिए अभी कोई अलग से बजट भी नहीं है।
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