बलवीर के लिए वरदान बना खेती का ऑनलाइन ज्ञान
गांव में रहने वाला हर व्यक्ति खेती-किसानी के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखता है।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी
गांव में रहने वाला हर व्यक्ति खेती-किसानी के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी जरूर रखता है। लेकिन, बेहतर उत्पादन और आमदनी के लिए अगर गांव का हर व्यक्ति थोड़ा-बहुत वैज्ञानिक जानकारी भी रखने लगे तो उसे रोजी के लिए गांव छोड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ऐसा ही कर दिखाया उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक स्थित बमणती गांव निवासी 42-वर्षीय बलवीर लाल ने। नवनिर्मित मकानों, गांव वालों के खेतों आदि में मेहनत-मजदूरी करने वाले बलवीर ऑनलाइन और यू-ट्यूब से नकदी फसलों के बारे में जानकारी हासिल कर अब हाथों में हथौड़े के बजाय कुदाल थाम चुके हैं। बीते दो वर्षो से वह अपनी 17 नाली भूमि पर वैज्ञानिक ढंग से नगदी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं।
दसवीं पास बलवीर लाल मजदूरी करके परिवार का पेट पालते थे। वर्ष 2009 में उनके मन में नकदी फसलों के उत्पादन का विचार आया। लेकिन, उत्पादों को गांव से श्रीकोट बाजार तक पहुंचाने के लिए चार किमी पैदल चलना पड़ता था। उस पर खच्चर का भाड़ा भी काफी अधिक लगता था। साथ ही वैज्ञानिक विधि की जानकारी न होने के कारण मनमाफिक उत्पादन भी नहीं होता था। ऐसे में बलवीर को परिवार के पालन पोषण के लिए मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ती थी। लेकिन, वर्ष 2019 में जब बलवीर के गांव बमणती तक सड़क पहुंच गई। संयोग से इसी दौरान उनकी मुलाकात कंकराड़ी (उत्तरकाशी) निवासी प्रगतिशील किसान दलवीर चौहान से हुई। दलवीर की नकदी फसलों को देखकर बलवीर ने भी वैज्ञानिक विधि से नकदी फसल उत्पादित करने की ठान ली।
बलवीर लाल बताते हैं कि पहले उन्होंने अपने सीमित संसाधनों के जरिये एक किमी दूर से खेतों तक पानी पहुंचाया। फिर ऑनलाइन व यू-ट्यूब से बीज आदि कि जानकारी लेकर नकदी फसलों का उत्पादन शुरू किया। इससे बीते वर्ष सब्जियां बेचकर डेढ़ लाख रुपये से अधिक की आमदनी हो गई। इस बार उन्होंने दोगुनी से अधिक सब्जियों का उत्पादन किया है। बताया कि उनके उत्पाद गांव से चार किमी दूर श्रीकोट, तराकोट आदि ग्रामीण बाजारों में आसानी से बिक जाते हैं। उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए उन्होंने स्कूटी खरीदी हुई है।
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दलवीर से मिला गुरु ज्ञान
प्रगतिशील किसान दलवीर चौहान ने बलवीर लाल को नकदी फसल उत्पादन के तीन सूत्र बताए। पहला, बिना तकनीकी ज्ञान के किसान अधूरा है। दूसरा, जिसके पास पॉलीहाउस नहीं, वह नकदी फसल उत्पादित करने वाला काश्तकार नहीं हो सकता और तीसरा, जिसके पास जैविक खाद पिट यानी बर्मी कंपोस्ट नहीं, वह किसान अधूरा है।
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ऑनलाइन ज्ञान लेते हैं बलवीर
बलवीर लाल बताते हैं कि बीज से पौध तैयार करने, पौधरोपण करने, बेल को सहारा देने और उनकी देखभाल कराने की विधि उन्होंने काफी-कुछ यू-ट्यूब से भी सीखी है। इसके अलावा कभी कोई जानकारी लेनी होती हैं तो वे फोन व वाट्सएप पर पूछने के अलावा गूगल का सहारा भी लेते हैं।
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'एक साल पहले बलवीर लाल सब्जी उत्पादन के गुर सीखने मेरे पास आए। बीते 15 वर्षो में मैंने भी नकदी फसलों के बारे में जो कुछ भी हासिल किया था, सहर्ष बलवीर के साथ बांट दिया। आज बलवीर के खेतों को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। वह मुझ से भी बेहतर ढंग से सब्जी उत्पादन कर रहा है। बलवीर की मेहनत अनुकरणीय है।'
-दलवीर चौहान, प्रगतिशील किसान उत्तरकाशी
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फोटो परिचय
14यूटीकेपी 11 : चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बमणती गांव निवासी काश्तकार बलवीर लाल द्वारा तैयार की गई कद्दू की फसल।
14यूटीकेपी 12 : चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बमणती गांव निवासी काश्तकार बलवीर लाल द्वारा तैयार की गई टमाटर की फसल।
14यूटीकेपी 13 : चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बमणती गांव निवासी काश्तकार बलवीर लाल द्वारा तैयार की गई टमाटर की फसल।
14यूटीकेपी 13ए : चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बमणती गांव निवासी काश्तकार बलवीर लाल द्वारा तैयार की गई बैंगन की फसल।
19यूटीकेपी 12 : दलवीर चौहान, प्रगतिशील किसान, उत्तरकाशी
23यूटीकेपी 11 : चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बमणती गांव निवासी काश्तकार बलवीर लाल।