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चारधाम के पौराणिक पैदल मार्ग तलाश रही निम की टीम, पढ़िए पूरी खबर

चारधाम यात्रा के पौराणिक पैदल मार्गों की तलाश में जुट गया है। इसके तहत निम के नेतृत्व में दस सदस्यीय टीम बीती तीन मई को जानकीचट्टी से इस अभियान की शुरुआत कर चुकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 06:22 PM (IST)
चारधाम के पौराणिक पैदल मार्ग तलाश रही निम की टीम, पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी, जेएनएन। पर्यटन विभाग चारधाम यात्रा के पौराणिक पैदल मार्गों की तलाश में जुट गया है। इसके तहत निम (नेहरू पर्वतारोहण संस्थान) के नेतृत्व में दस-सदस्यीय टीम बीती तीन मई को जानकीचट्टी से इस अभियान की शुरुआत भी कर चुकी है। मंगलवार को टीम गंगोत्री से केदारनाथ के लिए रवाना हुई और 14 मई को केदारनाथ पहुंचेगी। 25 मई को बदरीनाथ में अभियान की समाप्ति के बाद टीम अपनी रिपोर्ट पर्यटन विभाग को सौंपेगी। इसके पीछे ध्येय पैदल मार्गों के जरिये चारधाम यात्रा को प्रोत्साहित करना है, ताकि यात्री चारधाम दर्शनों के साथ ट्रैकिंग का लुत्फ भी ले सकें।   

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केदारनाथ रवाना होने से पूर्व गंगोत्री में गढ़वाल आयुक्त बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने टीम का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने टीम के सदस्यों को बधाई दी और पर्यटन विभाग और शासन की निर्धारित कार्ययोजना के तहत रिपोर्ट तैयार करने को कहा। पुरुषोत्तम ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से चारधाम के पुराने रूट तलाशने की कोशिश की जा रही है। ताकि उत्तराखंड में पर्यटन और बढ़ सके। बताया कि निम के नेतृत्व में तीन मई को यह अभियान शुरू हो गया था, जो बदरीनाथ तक चलेगा। 

निम के प्रधानाचार्य और टीम लीडर कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि यमुनोत्री से दरबा टॉप डोडीताल होते हुए टीम चार दिन में गंगोत्री पहुंची। टीम ने यहां दो रूट तलाश किए। अब गंगोत्री से भेला टिपरी-बुढ़ाकेदार-घुत्तू-पंवालीकांठा-त्रियुगीनारायण होते हुए टीम केदारनाथ पहुंचेगी और फिर बदरीनाथ के पैदल मार्ग पर जाएगी। 25 मई तक टीम वापस लौटेगी। बताया कि टीम में निम के अलावा उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र, फोटोग्राफर, एसडीआरएफ और वन विभाग के सदस्य शामिल हैं।

टीम एक धाम से दूसरे धाम को जोड़ने वाले सभी पैदल मार्ग, उनकी स्थिति, पड़ाव पर व्यवस्थाएं, रेस्क्यू के लिए हेलीपैड की स्थिति, गांव में होम स्टे और ग्रामीणों के संपर्क नंबर, रास्ते के वीडियो और फोटोग्राफी कर रही है। इसके अलावा पैदल मार्ग पर पड़ने वाले ताल, बुग्याल, वनस्पति, पशु-पक्षी, छोटे धार्मिक स्थल आदि का भी ब्योरा तैयार किया जा रहा है। 

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