फुटबॉलर बालिकाओं को सफल बना रही है निधि बिंजोला, जानिए इनके बारे में
बेटी बचाओ और बेटी खिलाओ को निधि बिंजोला पहचान दे रही हैं। फुटबॉल की कोच निधि मनेरा स्टेडियम में 20 बालिकाओं को फुटबॉल की बारीकियां सिखाकर उन्हें बेहतरीन फुटबॉलर बना रही हैं।
उत्तरकाशी, जेएनएन। सीमांत जनपद उत्तरकाशी में बेटी बचाओ और बेटी खिलाओ को निधि बिंजोला पहचान दे रही हैं। फुटबॉल की कोच निधि 2016 से उत्तरकाशी के मनेरा स्टेडियम में 20 बालिकाओं को फुटबॉल की बारीकियां सिखाकर उन्हें बेहतरीन फुटबॉलर बना रही हैं। निधि बिंजोला अपनी टीम की बालिकाओं की सफलता को ही अपनी सबसे बड़ी निधि मानती हैं।
पौड़ी जनपद के कोटद्वार निवासी निधि बिंजोला को खेल के लिए उनके पिता वाचस्पति बिंजोला (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सेवानिवृत) ने प्रेरित किया। पिता से प्रेरित होकर निधि ने 2007 में पढ़ाई के साथ फुटबॉल खेल की राह चुनी। फुटबॉल में स्कूल स्तर पर नेशनल, विवि नेशनल के साथ ही अंडर-17 नेशनल, अंडर-19 नेशनल, सीनियर नेशनल टीम में बतौर उत्तराखंड टीम कैप्टन के रूप में प्रतिभाग किया।
विवि नेशनल में निधि ने दयालबाग विवि के खिलाफ दिल्ली में छह गोल दागे और अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया। 2008 में इंडिया कैंप के लिए भी निधि का नाम चयन हुआ, लेकिन कुछ कारणों से निधि कैंप ज्वाइन नहीं कर पाई। 2014 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्सर्स (एनआइएस) से डिप्लोमा करने के बाद निधि ने कोटद्वार और देहरादून में बालिकाओं को फुटबॉल की कोचिंग दी।
2016 में उत्तरकाशी में महिला फुटबॉल आवासीय हॉस्टल शुरू हुआ। शासन स्तर से निधि को संविदा पर यहां प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दी गई। 2018 में शासन ने बतौर उप क्रीड़ाधिकारी फुटबॉल कोच की भर्ती निकाली, जिसमें परीक्षा पास कर निधि की स्थाई नियुक्ति हुई।
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उत्तरकाशी को दिलाया सुब्रतो कप
निधि बिंजोला कहती हैं कि दिसंबर 2016 में उनकी टीम ने उत्तरकाशी को स्कूल बालिका सुब्रतो कप दिलाया। उत्तरकाशी बालिका टीम राज्य स्तर की चैंपियन है। अधिकांश बालिकाएं नेशनल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुकी हैं। बीते नवंबर माह में देहरादून में आयोजित हुई राज्य स्तरीय स्कूल प्रतियोगिता और दिसंबर माह में हल्द्वानी में आयोजित हुई राज्य बालिका फुटबॉल में उत्तरकाशी की ये टीम चैंपियन बनी। इन बालिकाओं को डेढ़ घंटे सुबह और ढाई घंटे शाम को ट्रेनिंग होती है। इनको देखकर अन्य बेटियां भी फुटबॉल को लेकर प्रेरित हो रही है। अपनी सफलता का श्रेय निधि अपने परिवारजन और कोच को देती हैं।
संघर्ष-खेल मैदान में कठिन परिश्रम के साथ रूढ़ीवादी सोच से लड़ी।