सीटी बजाने पर अवतरित होते हैं हरि महाराज
जागरण संवाददाता उत्तरकाशी पौराणिक माघ मेला के पांचवें दिन हरिमहाराज की देव यात्रा क
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: पौराणिक माघ मेला के पांचवें दिन हरिमहाराज की देव यात्रा का समापन हुआ। चार दिनों तक उत्तरकाशी में हरि महाराज की शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग किया।
शनिवार को बाड़ागडी के मुस्टिकसौड़, कुरोली, बोंगाड़ी, कंकराड़ी, मस्ताड़ी, बोंगा, भेलुड़ा, डांग, पोखरी, कंसैंण, कोटियाल गांव, लदाड़ी, जोशियाड़ा, थलन, मंगलपुर, साड़ा समेत कई गांव के लोगों ने डांग गांव की थात से हरिमहाराज का ढोल, खंडद्वारी माता और नागदेवता डोली के साथ शोभा यात्रा निकाली। इस दौरान क्षेत्र के लोगों ने देवताओं से क्षेत्र की समृद्धि और खुशहाली का कामना की। इस यात्रा में प्रतिभाग करने वाले हर पुरुष श्रद्धालु को सीटी बजानी पड़ती है। इसलिए डांग गांव से लेकर चमाला की चौंरी तक श्रद्धालु सीटी बजाते-बजाते पहुंचे। जबकि महिलाओं ने रांसों और तांदी नृत्य किया। चमाला की चौंरी में श्रद्धालुओं ने अपने अराध्य देवता की विधिविधान से पूजा अर्चना की। ग्रामीण श्रद्धालु दिवाकर भट्ट ने बताया कि हरिमहाराज भगवान शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का रुप हैं। यह बाड़ागडी स्थित हरिगिरी पर्वत पर कुज्ब नामक स्थान पर निवास करते हैं। यह बाड़ागडी पट्टी के अराध्य देव हैं। मान्यता है कि कालांतर में यह दोनों भाई सीटी बजाकर ही एक दूसरे को संकेत देते थे। तब से लेकर अब तक सीटी बजाने की परंपरा चली आ रही है और सीटी बजाने से हरि महाराज अवतरित होते हैं। शनिवार की शाम को हरि महाराज की देव यात्रा कुरोली के लिए रवाना हुई।