Move to Jagran APP

Lok Sabha Election: टिहरी संसदीय सीट का पूरा गणित, यहां आज भी राज परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है सियासत की धुरी

Lok Sabha Election News टिहरी संसदीय सीट का भूगोल जितना जटिल है उतना ही रोचक इसका राजनीतिक परिदृश्य भी है। वर्तमान में इसी सीट पर मतदाताओं की संख्या 1559988 है। यहां मुद्दे और समीकरण के लिहाज से पर्वतीय क्षेत्र की अहम भूमिका है लेकिन मतदाताओं के दृष्टिकोण से मैदानी क्षेत्र भारी है। मैदानी क्षेत्र में पड़ने वाले सहसपुर विधानसभा में सर्वाधिक 183871 मतदाता हैं

By Aysha Sheikh Edited By: Aysha Sheikh Published: Tue, 05 Mar 2024 02:49 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2024 03:09 PM (IST)
Lok Sabha Election: टिहरी संसदीय सीट का पूरा गणित, राज परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है सियासत की धुरी

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। Lok Sabha Election 2024: टिहरी संसदीय सीट का भूगोल जितना जटिल है, उतना ही रोचक इसका राजनीतिक परिदृश्य भी है। चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी (ट्रांस हिमालय) से लेकर टिहरी और देहरादून जिलों के अंतर्गत आने वाली इस सीट में आठ पर्वतीय और छह मैदानी स्वरूप वाले विधानसभा क्षेत्र समाहित हैं।

loksabha election banner

भूगोल के लिहाज से पहाड़ तो मतदाताओं के दृष्टिकोण से मैदान भारी नजर आता है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो यहां की सियासत की धुरी में राजशाही का बोलबाला रहा है। अब तक के आम चुनाव में टिहरी सीट पर 11 बार व एक उपचुनाव में सांसद टिहरी राज परिवार से चुने गए।

दलीय स्थिति के हिसाब से नजर दौड़ाएं तो आठ बार आम चुनाव व एक उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास रही, जबकि सात आम चुनाव व एक उपचुनाव में भाजपा के पास। एक-एक बार जनता दल और निर्दल सांसद भी यहां से रहे।

उत्तर में चीन सीमा से सटा है क्षेत्र

उत्तरकाशी, टिहरी व देहरादून जिलों में फैली इस सीट का क्षेत्र पूरब में पौड़ी गढ़वाल और दक्षिण में हरिद्वार लोकसभा सीट से जुड़ा है। पश्चिम में इसकी सीमा हिमाचल प्रदेश से लगती है तो उत्तर की तरफ यह चीन सीमा से सटी हैं।

सहसपुर में सर्वाधिक व पुरोला में सबसे कम मतदाता

वर्तमान में इसी सीट पर मतदाताओं की संख्या 15,59,988 है। यहां मुद्दे और समीकरण के लिहाज से पर्वतीय क्षेत्र की अहम भूमिका है, लेकिन मतदाताओं के दृष्टिकोण से मैदानी क्षेत्र भारी है। मैदानी क्षेत्र में पड़ने वाले सहसपुर विधानसभा में सर्वाधिक 1,83,871 मतदाता हैं, जबकि पहाड़ का सबसे कम मतदाताओं वाला विधानसभा क्षेत्र पुरोला भी इसी सीट का हिस्सा है, जहां 76,705 मतदाता हैं। मसूरी को जोड़कर मैदानी इलाके में पड़ने वाले छह विधानसभा क्षेत्र में 8,67,709 और पहाड़ के आठ विधानसभा क्षेत्रों में 6,92,279 मतदाता हैं।

ये विस क्षेत्र हैं शामिल

चकराता, देहरादून कैंट, मसूरी, रायपुर, राजपुर रोड, सहसपुर व विकासनगर (देहरादून), धनौल्टी, घनसाली, टिहरी व प्रतापनगर (टिहरी), गंगोत्री, यमुनोत्री व पुरोला (उत्तरकाशी)।

सामाजिक ताना-बाना भी रोचक

टिहरी सीट का सामाजिक, सांस्कृतिक ताना-बाना भी कम रोचक नहीं है। सांस्कृतिक दृष्टि से इसमें चार क्षेत्र जौनपुर-जौनसार, रवाईं, टिहरी-उत्तरकाशी और मैदानी क्षेत्र शामिल हैं। यहां की लगभग 62 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है, जबकि 38 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में है। सीट के अंतर्गत अनुसूचित जाति की जनसंख्या 17.15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी 5.8 प्रतिशत के करीब है।

राज परिवार के इर्द-गिर्द घूमती धुरी

स्वतंत्रता से पहले टिहरी गढ़वाल राजशाही के अधीन था। एक अगस्त 1949 को टिहरी रियासत का भारत में विलय हुआ। इसके बाद भले ही यहां राजशाही का अंत हो गया, लेकिन स्वतंत्र भारत के लोकसभा चुनाव में टिहरी सीट की सियासत की धुरी राज परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती आई है। वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव में राज परिवार से राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनी गई।

वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर टिहरी रियासत के अंतरिम शासक रहे मानवेंद्र शाह सांसद चुने गए। मानवेंद्र शाह ने कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1962 व 1967 में यहां लगातार जीत दर्ज की। वर्ष 1971 में कांग्रेस के टिकट पर परिपूर्णानंद पैन्यूली संसद पहुंचे। वर्ष 1977 में पर्वतपुत्र हेमवंती नंदन बहुगुणा समर्थित जनता दल से त्रेपन सिंह नेगी लोकसभा में पहुंचे।

वर्ष 1980 में त्रेपन सिंह नेगी ने कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज की। वर्ष 1984 में इस सीट पर कांग्रेस के ब्रह्मदत्त विजयी रहे, वह वर्ष 1989 में भी दोबारा निर्वाचित हुए। वर्ष 1991 में इस सीट पर पहली बार भाजपा का खाता खुला और मानवेंद्र शाह लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वर्ष 1996, 1998, 1999 व 2004 में भी मानवेंद्र शाह ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की।

मानवेंद्र शाह के निधन के बाद वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विजय बहुगुणा विजयी रहे। वर्ष 2009 के कांग्रेस प्रत्याशी विजय बहुगुणा ने फिर जीत दर्ज की। वर्ष 2012 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर माला राज्यलक्ष्मी शाह चुनाव जीती। इसके बाद वर्ष 2014 और फिर वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा की माला राज्यलक्ष्मी शाह लगातार जीत दर्ज करती आई हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.