नासूर बन रहे भूस्खलन जोन को है उपचार की दरकार, हिमखंड रोक रहे फूलों की घाटी की राह
पहाड़ों में नए-नए भूस्खलन जोन भी उभर रहे हैं। परियोजना शुरू होने के बाद से पहाड़ों पहले के मुकाबले तिगुने से अधिक भूस्खलन जोन सक्रिय हो चुके हैं।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। चारधाम परियोजना (ऑलवेदर रोड) के तहत गढ़वाल क्षेत्र में 739 किमी सड़क तैयार होनी है। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) और एनएच (नेशनल हाइवे) का कहना है कि इसमें 644 किमी सड़क का चौड़ीकरण कार्य किया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही पहाड़ों में नए-नए भूस्खलन जोन भी उभर रहे हैं। परियोजना शुरू होने के बाद से पहाड़ों पहले के मुकाबले तिगुने से अधिक भूस्खलन जोन सक्रिय हो चुके हैं। वहीं, पुराने भूस्खलन जोन ट्रीटमेंट के बाद भी नासूर बने हुए हैं। ऐसे में आगामी बरसात ये फिर यात्रियों के साथ आमजन की भी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
ऋषिकेश-गंगोत्री हाइवे पर अभी जिला मुख्यालय उत्तरकाशी तक 169 किमी क्षेत्र में चारधाम परियोजना का काम चल रहा है। इस हाइवे पर पहले नालूपानी और चुंगी बड़ेथी डेंजर जोन में थे। लेकिन, अब यहां 25 से अधिक भूस्खलन जोन बन चुके हैं। हालांकि, उत्तरकाशी के पास चुंगी बड़ेथी में बीते तीन वर्षो से भूस्खलन जोन का उपचार चल रहा है, लेकिन यह सही होने के बजाय नासूर बन चुका है। वर्ष 2019 की बरसात तो चुंगी बड़ेथी का ट्रीटमेंट कार्य भूस्खलन के साथ ही धराशायी हो गया था। इससे अधिकांश समय यहां पर हाइवे बाधित रहा।
यही हाल नालूपानी का है। यहां ट्रीटमेंट तो हो रहा है, पर भूस्खलन का खतरा बरकरार है। इस हाइवे पर नए भूस्खलन जोन में नरेंद्रनगर, नगुण, कुमारखेड़ा, बेमर, फकोट, कमांद और खाड़ी के पास बने हैं, जबकि यमुनोत्री हाइवे पर डाबरकोट भूस्खलन जोन पर अभी उपचार कार्य शुरू नहीं हुआ। यहां भूस्खलन जोन से पार पाने के लिए सुरंग स्वीकृत है। इस हाइवे पर भी आठ से अधिक भूस्खलन जोन नए बने हैं।
ऋषिकेश-बदरीनाथ हाइवे पर साकनीधार, तीनधारा, जियालगढ़, सिरोबगड़ कालेश्वर, लंगासू, दिउलीबगड़, नंदप्रयाग, बांजबगड़, क्षेत्रपाल, बिरही, गडोरा, पीपलकोटी, पातालगंगा सहित 20 से भूस्खलन जोन अधिक हैं। वहीं, रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे पर बांसवाड़ा, बड़ासू, फाटा सहित कई स्थानों पर भूस्खलन जोन उभर हैं। हैरत देखिए कि चारधाम परियोजना के निर्माण से बने भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली और नदी बचाओ आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई ने अनियोजित निर्माण से बढ़े भूस्खलन जोन पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि विकास के कार्य जरूरी हैं, लेकिन अनियोजित तरीके से नहीं। जिस तरह से पहाड़ों को काटा जा रहा है, उससे भूस्खलन लगातार बढ़ रहा है।
सड़क सीमा संगठन के कमांडर श्रीवास्तव ने बताया कि गंगोत्री हाइवे पर अभी तक करीब 12 भूस्खलन जोन चिह्नित किए गए हैं। इनके ट्रीटमेंट के लिए मंत्रलय को रिपोर्ट भेजी जा रही है। ताकि समय पर नई तकनीक से इन भूस्खलन जोन का उपचार किया जा सके।
हिमखंड रोक रहे फूलों की घाटी की राह
विश्व धरोहर फूलों की घाटी में रेकी के लिए गया वन कर्मियों का आठ-सदस्यीय दल वापस लौट आया है। दल को घाटी में एक सप्ताह तक रुकना था, लेकिन खराब मौसम के चलते पांच दिन में ही लौट आया। इस दौरान दल ने घाटी में हिमालयन थार का झुंड भी देखा और वन्यजीव तस्करों पर नजर रखने के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरे का बैटरी भी बदली।
वन क्षेत्रधिकरी फूलों की घाटी रेंज बृजमोहन भारती ने बताया कि वन कर्मियों की टीम घाटी में द्वारीपुल तक गई। वहां जगह-जगह हिमखंड पैदल रास्ते को रोके हुए हैं। बताया कि घाटी में अभी सात फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है और छह से अधिक स्थानों पर 40 से 50 फीट ऊंचे हिमखंड बने हुए हैं। आगामी एक जून को विश्व धरोहर फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोला जाना है। इसके लिए अप्रैल से यहां पैदल रास्ते को दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया जाएगा।