कूड़े के साथ मवेशियों के शव भी गंगा में डाले
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: देश की प्रमुख पवित्र नदियों में शुमार गंगा व यमुना का उद्गम स्थल
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: देश की प्रमुख पवित्र नदियों में शुमार गंगा व यमुना का उद्गम स्थल उत्तरकाशी जनपद में है। इन नदियों की स्वच्छता के लिए देश और प्रदेश स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन, इन नदियों के मायके उत्तरकाशी में स्वच्छता का ठोस प्लान बनाने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। उत्तरकाशी में भागीरथी (गंगा) की इन दिनों स्थिति यह है कि कोई हकीकत देख ले तो आचमन भी न करे।
उत्तरकाशी शहर के डंपिंग जोन के तेखला गदेरे में चार से अधिक मवेशियों के शव पड़े हुए हैं, जो सड़ गल कर भागीरथी में पहुंच रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों को गंगा की फिक्र नहीं है। नमामि गंगे और स्वच्छता के नाम पर बजट खर्च करने के लिए विभिन्न संगठन और सरकारी तंत्र अभियान तो चला रहे हैं, लेकिन गंगा की स्वच्छता और कूड़े के प्रबंधन पर किसी का भी ध्यान नहीं है। पर्वतारोही एवं हिमालय ट्रैकर मयंक आर्य कहते हैं कि उत्तरकाशी में गंगा स्वच्छता की स्थिति देखकर मन बेहद ही दुखी हो गया है। गंगा किनारे बसा उत्तरकाशी शहर ईको सेंसिटिव जोन में आता है। साथ ही गंगा प्रदूषण रोकने के लिए एनजीटी ने खास निर्देश दिए हैं, लेकिन उत्तरकाशी में इन निर्देशों व नियमों को नगर पालिका ने ताक पर रखा है। मयंक आर्य कहते हैं कि पहले तो पूरे शहर का कूड़ा तेखला गदेरे में डाल जा रहा है। गदेरे के बहाव में आने से यह कूड़ा बहकर गंगा में जा रहा है, लेकिन इन दिनों इस कूड़े के साथ चार से अधिक मरे हुए मवेशियों के शव भी फेंके हुए हैं, जो सड़गल कर भागीरथी में जा रहे हैं। तेखला गदेरे से भागीरथी नदी में जा रहे कूड़े के प्रबंधन का हश्र किसी से छुपा नहीं। एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि मरे मवेशियों का शव तेखला गदेरे में डाले जाने की जानकारी नहीं है। लेकिन उत्तरकाशी में स्थायी डंपिंग जोन की तलाश की जा रही है, जिसके बाद तेखला गदेरे में कूड़ा डंप नहीं होगा।