गंगा किनारे बही ज्ञान व वैराग्य की अविरल धारा
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: संत मोरारी बापू ने रविवार को गंगोत्री धाम स्थित गंगा किनारे
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी:
संत मोरारी बापू ने रविवार को
गंगोत्री धाम स्थित गंगा किनारे ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की अविरल धारा
प्रवाहित कर गंगोत्री को मानस से परिचित कराया। मोरारी बापू ने कहा
कि राम कथा गंगा के नौ रूप हैं। जिस प्रकार धरा पर बहती भागीरथी गंगा के नौ रूप हैं, उसी प्रकार राम कथा गंगा के भी नौ रूप होते हैं।
गंगोत्री धाम में आयोजित रामकथा के दूसरे दिन संत मोरारी बापू ने कहा कि सबसे पहले रामकथा गंगा भगवान शिव के मस्तिष्क में थी। उसके बाद कथा क्रमश: हृदय, मुख, कंठ में पहुंची। जबकि उसके बाद भसुंडी होते हुए तुलसीदास के गुरू आचार्य हरिस्वामी के पास पहुंची। इसके बाद अपने गुरू के मुख से सुनते हुए तुलसीदास के पास गई। बाद में हम सब के पास पहुंची। इसे ही सकल लोक जग पावनि गंगा कहा जाता है। इसी के साथ पतित पावनी के तट पर नौ दिवसीय राम कथा की गंगा बह निकली। बापू ने बताया जिस प्रकार हर युग में भगवान का अवतार होता है उसी प्रकार शास्त्रों, ग्रंथों का भी अवतार होता है। तुलसीदास कृत रामचरित मानस कलयुग का अवतार
है। संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से गंगोत्री धाम के परिसर में गौमुख की अनुकृति वाले विशाल पाडाल में चल रही मोरारी बापू की राम कथा सुनने रविवार को दूसरे दिन भी अपार जन सैलाब उमड पडा। इस मौके पर कथा यजमान मिराज ग्रुप के चेयरमैन मदन पालीवाल, महामंडलेष्वर संतोसदास सतुआ बाबा, मंत्रराज पालीवाल, रवीन्द्र जोषी, रूपेष व्यास, विकास पुरोहित, सुरेश सेमवाल आदि मौजूद रहे।