गंगनाणी जलधारा बुझा रही यात्रियों की प्यास
नौगांव ब्लाक के बर्नीगाड़ में यमुनोत्री राजमार्ग पर स्थित गंगनाणी धारा द्रोपदी के बाद अब तीर्थयात्रियों की प्यास बुझा रही है। यमुनोत्री धाम आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए गंगनाणी जलधारा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। तीर्थयात्री इस धारा में प्यास बुझाने के साथ ही स्नान कर जमकर फोटो खींच रहे हैं। यह जलधारा ऐतिहासिक धारा मानी जाती है।
कुंवर सिंह तोमर, बर्नीगाड़ (उत्तरकाशी ) : नौगांव ब्लाक के बर्नीगाड़ में यमुनोत्री राजमार्ग पर स्थित गंगनाणी धारा द्रोपदी के बाद अब तीर्थयात्रियों की प्यास बुझा रही है। यमुनोत्री धाम आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए गंगनाणी जलधारा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। तीर्थयात्री इस धारा में प्यास बुझाने के साथ ही स्नान कर जमकर फोटो खींच रहे हैं। यह जलधारा ऐतिहासिक धारा मानी जाती है।
मान्यता है कि महाभारत काल के दौरान कौरव और पांडव इस क्षेत्र में आवागमन करते थे। इस दौरान कौरवों ने पांडवों को लाखामंडल के लाक्ष्यगृह में जलाने की कोशिश की थी। तब पांडव सुरंग से बर्नीगाड़ के समीप लाखी जंगल पहुंच गए थे। लाखी जंगल से पांडव आगे चले तो द्रोपदी को रास्ते में प्यास लगी, तब अर्जुन ने गंगनाणी के पहाड़ पर अपने धनुष से तीर मारा और पानी की धारा निकल पड़ी। फिर द्रोपदी ने इसी गंगनाणी धारा से अपनी प्यास बुझाई।
पिपियारा गांव निवासी 85 वर्षीय सुंदर सिंह रावत कहते हैं कि इस पानी की धारा की खास बात यह भी है कि कितना भी सूखा पड़ जाए या फिर बरसात का सीजन हो, इसका पानी कम-ज्यादा नहीं होता। यह धारा शीतकाल में गर्म और ग्रीष्मकाल में ठंडी रहती है। यमुनोत्री धाम के दर्शन के दौरान इस धारा में तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ रही है। राजस्थान से आए तीर्थयात्री राहुल कुमार गुप्ता, मनोज जसवाल ने बताया कि ऐसा प्राकृतिक जलस्त्रोत और स्वच्छ पानी की धारा उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान कहीं नहीं देखी। लेकिन, यहां पर पर्यटकों के लिए उत्तराखंड प्रदेश सरकार की ओर से शौचालय आदि की सुविधा नहीं है। एक तिरपाल का शौचालय बना है। लेकिन, उसकी तिरपाल फट चुकी हैं और उसमें इतनी गंदगी है कि अंदर पैर रखना भी मुश्किल है। बर्नीगाड के ग्राम प्रधान चैन सिंह रावत ने बताया कि इस जलधारा के समीप ही यमुना नदी बह रही है। उत्तराखंड सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। सरकार गंगनाणी धारा को पर्यटक क्षेत्र घोषित करें, इससे यहां के बेरोजगारों व युवाओं को रोजगार मिल सकता है। गंगनाणी धारा के पास में ही अवशेष शिवलिग भी हैं व शिव का मंदिर भी है।