उद्गम स्थल गोमुख पर ही घुट रहा गंगा का दम
नमामि गंगे योजना के जरिये गंगा स्वच्छता को केंद्र और राज्य सरकारें तमाम दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है। उद्गम स्थल गोमुख पर ही गंगा का दम घुट रहा है।

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: नमामि गंगे योजना के जरिये गंगा स्वच्छता को केंद्र और राज्य सरकारें तमाम दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है। गोमुख से निकलने वाली गंगा का दम उद्गम स्थल पर ही घुट रहा है। गोमुख व उसके आस-पास के क्षेत्र में पॉलीथिन, कपड़े, पैकिंग खाद्य सामग्री का कचरा बिखरा पड़ा है। जगह-जगह लिखे स्वच्छता के संदेश प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
गंगोत्री धाम से 19 किलोमीटर की दूरी पर गोमुख गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में आता है। इस बार गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट 15 अप्रैल को खुले। 15 अप्रैल से लेकर अभी तक गोमुख, तपोवन, भोजवासा, नंदनवन तथा काङ्क्षलदीपास पर चार हजार से अधिक लोगों ने ट्रैकिंग की है।
इनमें सबसे अधिक संख्या कांवड़ियों की है। कांवड़िए 20 जून से ही आने शुरू हो गए थे। इससे कांवड़ियों व ट्रैकरों ने गंगोत्री से गोमुख तक जगह-जगह कूड़ा बिखेर रखा है। इस रूट पर खाने के पैकेट जगह-जगह पड़े हुए हैं। गोमुख में कांवड़िए खुले में शौच जा रहे हैं। शराब की बोतलें, शीतल पेय और पानी की खाली बोतलें, नमकीन, चिप्स के खाली पैकेट, पॉलीथिन, पुराने कपड़े, प्लास्टिक आदि का कूड़ा बिखरा पड़ा है। ये कूड़ा इसी वर्ष का है।
गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट बंद होने के दौरान नवंबर 2016 में ओएनजीसी व आइएमएफ की टीम ने संयुक्त रूप से गोमुख क्षेत्र में स्वच्छता अभियान दो टन कूड़ा एकत्र किया था। इस वर्ष अभी तक किसी संगठन ने गोमुख क्षेत्र में स्वच्छता अभियान नहीं चलाया।
ग्लेशियर बचाओ अभियान से जुड़ी शांति ठाकुर कहती है कि गोमुख कूड़ा-कचरा फैलाने वाली मानवीय गतिविधि आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से हो रही है। गंगा और ग्लेशियर बचाने के लिए ऐसी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए।
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