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आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर उत्‍साह, लेकिन सिस्‍टम से व्‍यथित; जानिए क्‍या कहते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल

आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर पूरे देश में उत्साह है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल भी इस महोत्सव को लेकर काफी उत्साहित हैं। लेकिन चिन्द्रियालाल सिस्टम के सितम से बेहद ही व्यथित हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 07:47 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 11:49 PM (IST)
95 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल पिछले सात साल से उत्तरकाशी में अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे हैं।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर पूरे देश में उत्साह है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल भी इस महोत्सव को लेकर काफी उत्साहित हैं। लेकिन, चिन्द्रिया लाल सिस्टम के सितम से बेहद ही व्यथित हैं। 95 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल पिछले सात साल से उत्तरकाशी में अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन, सरकारी मुलाजिमों ने अभी तक इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मामूली सी जनहित की समस्याओं का हल नहीं किया।

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल का गांव उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर ब्रह्मखाल जुणगा हैं। पिछले सात सालों से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल अपनी पट्टे की भूमि पर गांव के गरीबजनों के लिए एक सामुदायिक भवन बनवाने की मांग कर रहे हैं। जिसके लिए वे खुद भी आर्थिक सहायता देने के लिए उन्होंने डीएम से लेकर सीएम तक पत्र दिया है। लेकिन, अभी तक इस भूमि पर सामुदायिक भवन बनाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके लिए चिन्द्रियालाल ने कई बार जिलाधिकारी सहित मुख्यमंत्री तक पत्र भेज दिए हैं। सात माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी जब ब्रह्मखाल गए थे तो वहां पर चिन्द्रियालाल यह समस्या बताई थी।

दूसरी समस्या है कि जिस भूमि सामुदायिक भवन बनाया जाना है वहां प्रांतीय खंड लोनिवि उत्तरकाशी ने 20 साल पहले ब्रह्मखाल-जुणगा मोटर मार्ग निर्माण का मलबा उडेल रखा है। जिसको हटाने तथा सड़क की मजबूत दीवार बनाने की मांग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर रहे हैं। लेकिन, पिछले सात सालों से वे लोनिवि के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन, लोनिवि के अधिकारी भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

रैनबसेरा के गुणवत्ता पर उठाए सवाल

पांच साल पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रिया लाल के नाम से जिला पंचायत ने ब्रह्मखाल में एक रैन बसेरा बनाया। लेकिन यह रैनबसेरा बेहद ही निम्न गुणवत्ता से बना है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिन्द्रियालाल इसी रैन बसेरे की निर्माण की जांच की मांग चार वर्ष से कर रहे हैं। चिन्द्रिया लाल कहते हैं रैन बसेरा की दीवार से पानी अंदर आ रहा है। जिससे गरीब आदमी व यात्री कैसे इसमें ठहर पाएगा। उनकी मांग है कि भ्रष्टाचार करने वालों से वसूली की जाए तथा वसूली की धनराशि से रैन बसेरा की मरम्मत हो।

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17 साल की उम्र में आंदोलन में कूद गए थे चिन्द्रियालाल

डुंडा ब्लाक के जुणगा गांव निवासी चिन्द्रियालाल का जन्म जुलाई 1927 को हुआ। कक्षा चार तक पढ़े चिन्द्रियालाल राजशाही के खिलाफ प्रजातंत्र के आंदोलन में 1944 में शामिल हुए। उसी दौरान श्रीदेव सुमन की टिहरी जेल में मौत हुई थी। उसी दौरान चिन्द्रिया लाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नत्था ङ्क्षसह कश्यप, राम चन्द्र उनियाल, परिपूर्णानंद पैन्यूली, त्रेपन ङ्क्षसह नेगी के सम्पर्क में आये। प्रजातंत्र के आंदोलन का संदेश चम्बा कद्दू खाल से लाते समय धरासू के पास राजशाही की हकूमत ने उन्हें पकड़ कर गिरफ्तार किया। यही नहीं चिन्द्रिया लाल के घर और जमीन की कुर्की की थी। लेकिन, चिन्द्रिया लाल ने उसके बाद भी हार नहीं मानी और राजशाही का तख्तापलट तक आंदोलन से जुड़े रहे।

उत्‍तरकाशी के अपर जिलाधिकारी तीरथपाल सिंह का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिस भूमि पर वे सामुदायिक भवन बनाना चाह रहे है वह भूमि पट्टे की है तथा कृषि उपयोग के लिए है। भवन बनाने के लिए पहले लैंड यूज चेज होना है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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