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गंगोत्री धाम और हर्षिल में सीजन की पहली बर्फबारी

रविवार रात को गंगोत्री धाम सहित हर्षिल घाटी खरसाली हरकीदूर घाटी सांकरी क्षेत्र में सीजन की पहली बर्फबारी हुई जबकि यमुनोत्री धाम में सीजन की दूसरी बर्फबारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 09:36 PM (IST)
गंगोत्री धाम और हर्षिल में सीजन की पहली बर्फबारी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: रविवार रात को गंगोत्री धाम सहित हर्षिल घाटी, खरसाली, हरकीदूर घाटी, सांकरी क्षेत्र में सीजन की पहली बर्फबारी हुई, जबकि यमुनोत्री धाम में सीजन की दूसरी बर्फबारी है। इधर, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय सहित सभी तहसील क्षेत्रों में रविवार रात और सोमवार को बारिश हुई। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से निचले इलाकों में भी कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है।

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उत्तरकाशी व आसपास के इलाकों में रविवार की शाम से ही बादल छाने लगे थे और रात को जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई। हर्षिल, सुक्की टॉप, दयारा बुग्याल, डोडीताल, हरकीदून, ओसला, गंगाड़, लिवाड़ी फिताड़ी, खरसाली सहित गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में बर्फबारी हुई। इन क्षेत्रों बर्फबारी सोमवार की शाम तक जारी रही। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से मौसम बेहद ही ठंडा हो गया है। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय का अधिकतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि गंगोत्री का अधिकतम तापमान 4 डिग्री, न्यूनतम माइनस 6 डिग्री, यमुनोत्री का अधिकतम तापमान 3 डिग्री व न्यूनतम माइनस 8 डिग्री दर्ज किया गया।

यमुना घाटी में भी हुई बर्फबारी

बड़कोट: यमुनोत्री, जानकीचट्टी, खरसाली सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी बर्फबारी हुई, जबकि निचले इलाकों में बारिश हुई। बर्फबारी और बारिश से ठंड बढ़ गई है। ठंड से बचने के लिए ग्रामीण अलाव का भी सहारा ले रहे हैं। स्थानीय काश्तकार रामलाल उनियाल का कहना है कि ये बर्फबारी फसलों के लिहाज से रामबाण है।

बारिश और बर्फबारी से काश्तकारों के चेहरे खिले

पुरोला: चार माह बाद हुई बारिश से क्षेत्र के किसानों व बागवानों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई है। काश्तकार लंबे समय से बारिश के इंतजार में थे। बारिश न होने से क्षेत्र के काश्तकार अभी तक खेतों की जुताई व मटर, गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे थे। काश्तकार रमेश असवाल, कविद्र असवाल, श्यालिक राम नौटियाल ने कहा कि बरसात में अनुकूल बारिश न होने के कारण लाल धान की फसल भी खासी प्रभावित हुई है। इसके बाद सितंबर और अक्टूबर माह में भी बारिश नहीं हुई। बारिश न होने के कारण काश्तकार अपने खेतों में जुताई बुवाई नहीं कर पा रहे थे, जिससे मटर और टमाटर की बुवाई का कार्य भी पिछड़ रहा था। लेकिन, बारिश की बूंदें किसानों के लिए सुकून देने वाली रही हैं। अब काश्तकार अपने खेतों में जुताई और बुवाई कर सकता है। वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बगीचों में सीजन की पहली बर्फबारी होने से काश्तकार काफी खुश हैं। बारिश और बर्फबारी से बगीचों नमी मिल जाएगी।


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