मायके में ही मैली हो रही गंगा-यमुना
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: देशभर की आस्था का केंद्र मानी जाने वाली गंगा और यमुना नदियों क
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: देशभर की आस्था का केंद्र मानी जाने वाली गंगा और यमुना नदियों का उद्गम स्थल उत्तरकाशी जिले में है। इन नदियों की स्वच्छता के लिए केंद्र और प्रदेश स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। लेकिन, इन नदियों के मायके उत्तरकाशी जिले में स्वच्छता का ठोस प्लान बनाने की कवायद तक नहीं की जा रही। भले ही बजट खर्च के नाम पर विभिन्न संगठन और सरकारी तंत्र अभियान तो चला रहे हैं। लेकिन, यह अभियान भी महज जागरूकता तक ही सीमित हैं। जैविक और अजैविक कूड़े के प्रबंधन पर किसी का ध्यान नहीं है। स्थिति यही है कि कहीं कूड़ा जलाया जा रहा है तो कहीं नदियों में गिराया जा रहा है।
भागीरथी के किनारे बसा उत्तरकाशी शहर ईको सेंसटिव जोन में आता है। साथ ही गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी ने खास निर्देश दिए हैं। लेकिन, उत्तरकाशी में इन निर्देशों व नियमों को नगर पालिका ने ताक पर रख दिया है। नगर पालिका प्रशासन प्रतिदिन 20-22 कुंतल कूड़ा एकत्र करता है। लेकिन, इसके प्रबंधन के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। बीती 30 नवंबर को पालिका प्रशासन ने रामलीला मैदान से कूड़ा उठाकर देवीधार और नालूपानी के बीच भागीरथी में उड़ेल दिया था। मामले में ईओ पर गाज गिरी है। बावजूद इसके स्थायी ट्रें¨चग ग्राउंड की तलाश तक नहीं की जा रही है। यहां तक कि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए लगाई जाने वाली कॉम्पैक्टर मशीन भी आज तक नहीं लग पाई है। भले ही पालिका ने इस मशीन को लगाने के नाम पर 20 लाख खर्च कर दिए हैं।
पुरोला, चिन्यालीसौड़ व नौगांव में नहीं डं¨पग जोन: कूड़े की समस्या केवल नगर पालिका बाड़ाहाट में ही नहीं, बल्कि चिन्यालीसौड़, नौगांव व पुरोला में भी स्थायी डं¨पग जोन नहीं है। इन निकायों में कूड़े का प्रबंधन नहीं, बल्कि केवल ठिकाने लगाया जा रहा है। नगर पंचायत पुरोला में कूड़ा मोरी रोड के किनारे डाला जा रहा है। कुछ यही हाल नगर पालिका चिन्यालीसौड़ का भी है। चिन्यालीसौड़ में भी कूड़े के लिए स्थायी डं¨पग जोन का चयन नहीं हो पाया है।
बड़कोट ने बचाई है लाज
जनपद उत्तरकाशी में केवल बड़कोट ही एक ऐसा निकाय है, जहां कूड़े के लिए स्थायी डं¨पग जोन है। यहां एकत्र कूड़े की छंटाई की जाती है। जिसके बाद जैविक कूड़े को तिलाड़ी मार्ग पर बने ट्रें¨चग ग्राउंड में डाला जाता है। जबकि, अजैविक (पॉलीथिन और प्लास्टिक) कूड़े को कॉम्पैक्टर मशीन में पहुंचाया जाता है। इसे लेकर बड़कोट के एसडीएम अनुराग आर्य ने बताया कि एक साल के अंतराल में प्लास्टिक कूड़े से नगर पालिका बड़कोट को 62 हजार की आय हुई है, जो लगातार बढ़ती जा रही है।