पहाड़ के किसानों को चाहिए छोटी मंडी और बड़ी चकबंदी
उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी जनपदों में कृषि और बागवानी से जुड़े किसानों ने मंडी बनाने की वकालत की।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी जनपदों में कृषि और बागवानी से जुड़े काश्तकारों की अलग ही परेशानी हैं। उन्नत किस्म के बीज और उत्तम क्वालिटी की दवा न मिलने से यहां काश्तकार परेशान हैं। लेकिन, इससे बड़ी परेशानी गांव से निकटवर्ती मंडी और बाजार तक तैयार फसल पहुंचाने की है। इसके अलावा पहाड़ में अधिकांश काश्तकार छोटी जोत वाले हैं। इसी कारण सामूहिक खेती और चकबंदी की वकालत भी काश्तकार लंबे समय से करते आ रहे हैं। आम बजट में पहाड़ के काश्तकारों को उम्मीद है इन समस्याओं के समाधान के लिए बजट में प्रावधान होगा।
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार की किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं भी चल रही हैं। लेकिन, किसानों की कुछ समस्याएं ऐसी हैं जिनका समाधान निकाला जाना जरूरी है। जिनमें एक प्रमुख कारण यह है कि पहाड़ों में खेती-किसानी पर लागत लगातार बढ़ती जा रही है। जबकि किसान को फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसलिए पहाड़ के किसानों की मांग है कि ऐसा बजट प्रस्तुत हो, जिसमें किसानों को फसलों का उचित एवं लाभकारी मूल्य मिल सके। जिससे किसान भगवान भरोसे न रहे। बल्कि, उसका भरोसा सरकार पर रहे। किसानों को बीज व खाद खरीदने के लिए समय पर सब्सिडी युक्त ऋण मिले। उन्नत किस्म के बीज और खाद का प्रावधान हो और उस पर किसानों को रियायत भी दी जाए। जिससे किसान ऋण को भी समय पर चुकता कर सके।
-दलवीर सिंह चौहान, प्रगतिशील काश्तकार, उत्तरकाशी काफी लंबे समय से सेब के काश्तकारों की उत्तम क्वालिटी की दवा नहीं मिल पा रही हैं। इसलिए सेब के बागीचों में छिड़काव के लिए अच्छी कंपनी की दवाई उद्यान केंद्रों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो। हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड में ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी फिक्स करनी चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में कोल्ड स्टोर व छोटी मंडियां खोली जाएं।
प्रमोद रावत, अध्यक्ष उद्यान समिति बंगाण आराकोट
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उद्यान व कृषि विभाग में उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध नहीं होते हैं। छोटे ट्रैक्टर जैसे कृषि उपकरण 90 प्रतिशत छूट पर उपलब्ध होने चाहिए। विपणन की उचित व्यवस्था पहाड़ों में नहीं है। खेती सुधार स्वैच्छिक चकबंदी का सरकार प्रावधान करे और काश्तकारों को प्रोत्साहित करे। किसानों की नगदी, बेमौसमी सब्जियों व फसलों का अनिवार्य रूप से बीमा कराने की व्यवस्था हो।
शालिकराम नौटियाल, अध्यक्ष फल एवं सब्जी उत्पादक संघ पुरोला उत्तरकाशी
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पहाड़ों में नहरों से सिचाई व्यवस्था लगभग फेल हो चुकी है। जिसके कारण हर वर्ष सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हो रही है। आम बजट में सिचाई लिफ्ट व्यवस्था का प्रावधान हो। साथ ही किसानों को सेब, अखरोट अनार आदि बागीचे लगाने को 90 प्रतिशत अनुदान देकर प्रोत्साहित करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
-युद्धवीर सिंह रावत, प्रगतिशील किसान, खलाड़ी पुरोला