सेब की पैकिंग को हिमाचल से खरीदी 4.5 लाख पेटियां
जागरण संवाददाता उत्तरकाशी आपदा प्रभावित क्षेत्र आराकोट से जो सेब मंडियों तक जा रहा ह
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : आपदा प्रभावित क्षेत्र आराकोट से जो सेब मंडियों तक जा रहा है उसकी ब्रांडिग हिमाचल के नाम से हो रही है। जिसके कारण उत्तराखंड के सेब को पहचान नहीं मिल पा रही है। सेब काश्तकारों का आरोप है कि उत्तराखंड के उद्यान विभाग ने सेब की पैकिग के लिए समय पर पर्याप्त पेटियां उपलब्ध नहीं कराई। जो पेटियां दी गई उनकी गुणवत्ता भी सही नहीं थी। जिसके कारण काश्तकारों को सेब की पैकिग के लिए करीब साढ़े चार लाख पेटियां हिमाचल से खरीदनी पड़ी।
सीमांत जनपद उत्तरकाशी में 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब का उत्पादन होता है। जिसमें अकेले आराकोट क्षेत्र में 12 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इस सेब को मंडी तक पहुंचाने के लिए करीब पांच लाख पेटियों की जरूरत होती है, लेकिन इस बार उद्यान विभाग ने 48 हजार पेटियां आराकोट क्षेत्र में उपलब्ध कराई। जिसके कारण आराकोट क्षेत्र के काश्तकारों को करीब साढ़े चार लाख पेटियां हिमाचल प्रदेश की मंडियों से खरीदनी पड़ी। इन पेटियों में काश्तकार सेब पैकिग कर देहरादून, सहारनपुर, दिल्ली सहित अन्य मंडियों में बेच रहे हैं। जिसके कारण उत्तराखंड के सेब की ब्रांडिग हिमाचल प्रदेश के नाम पर हो रही है। बलावट गांव के ज्ञान सिंह कहते हैं कि आपदा प्रभावित क्षेत्र को पहले तो उद्यान विभाग को निश्शुल्क पेटियां देनी चाहिए थी। अगर यह भी संभव नहीं था तो कम से कम सही गुणवत्ता की पर्याप्त पेटियां समय पर उपलब्ध कराते। काश्तकारों को जब खरीदकर ही पेटियां लेने है तो ऐसी स्थिति में सही गुणवत्ता की पेटी ही खरीदेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल की पेटियों की गुणवत्ता काफी अच्छी है। आराकोट के उद्यान प्रभारी तीर्थ सिंह ने बताया कि विभाग ने अभी तक काश्तकारों को 48 हजार पेटियां उपलब्ध कराई हैं।