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गोलियों की तड़तड़हाट के बीच जज्बे के साथ जमे रहे जीत

अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चल रहीं थीं फिर भी जान की परवार किए बिना लोग डटे रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 10:59 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:34 AM (IST)
गोलियों की तड़तड़हाट के बीच जज्बे के साथ जमे रहे जीत
गोलियों की तड़तड़हाट के बीच जज्बे के साथ जमे रहे जीत

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चल रहीं थीं, फिर भी जान की परवाह किए बिना वह मैदान में डटे रहे। साथ ही उन्होंने क‌र्फ्यू में फंसे लोगों को खाना व घर जाने तक की व्यवस्था कराई। जिस सपने को पूरा करने के लिए आंदोलन चला। वह आज धरातल पर दिखने जा रहा है। इसे लेकर जीत खुश नजर आ रहे हैं।

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ग्राम छतरपुर रुद्रपुर निवासी जेबी सिंह श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के समय साकेत महाविद्यालय अयोध्या में बीएससी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे। 30 अक्टूबर, 1990 को कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थीं। जेबी सिंह बताते हैं कि अयोध्या के सभी मुख्य मार्गों पर फोर्स तैनात थी और कारसेवकों को आने पर रोक लगा दिया गया था। वह मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने अपने गांव के ही साथी गुलाब सिंह सिरोही, विजय कुमार मौर्या, राज किशोर मौर्या और हंसपाल के साथ खेतों के रास्तों से विवादित स्थल पहुंचे। प्रशासन ने बैरिकेडिग लगाकर सभी को रोक दिया था। लोगों ने बैरिकेडिग तोड़कर आगे बढ़े तो रामसेवकों पर गोलियां बरसने लगीं। कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथियों को गिरफ्तार कर नैनी जेल इलाहाबाद भेज दिया गया। बताया कि गोलियां चलने के बाद अयोध्या में क‌र्फ्यू लगा दिया गया। कफ्र्यू में फंसे लोगों को एक सप्ताह तक खाने, ठहरने व घर तक पहुंचाने के इंतजाम किए। बताया कि जब वह अवध विवि में इतिहास से परास्नातक की पढ़ाई कर रहे थे तो छह दिसंबर, 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाया गया। इस दौरान वह भी कक्षाएं छोड़कर वहां मौजूद थे। नेशनल कंस्ट्रक्शन के एमडी जेबी सिंह बताते हैं कि श्रीराम की कृपा थी कि मौत से कोई भय नहीं था। यदि जान भी जाएगी तो श्रीराम के नाम ही जाएगी। पांच अगस्त को मंदिर की नींव पड़ने जा रही है। इससे बेहद खुशी मिल रही है।


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