UBSE 10th, 12th Toppers List 2023: 12 किलोमीटर रोज साइकिल चलाकर तनु ने लिखी कामयाबी की इबारत
UBSE Result 2023 तनु चौहान अपने गांव देवीपुरा से रोजाना महुवाडाबरा अपनी स्कूल राम लाल सिंह इंटर कॉलेज आती थी। अपनी पढ़ाई के लिए 12 किलोमीटर साइकिल से अपने स्कूल और ट्यूशन जाती थी। उनके पिता अपनी किसानी कर उसके लिए किताबें ओर जरूरी संसाधन मुहैया कराते रहे।
काशीपुर, जागरण संवाददाता। आज पूरा प्रदेश तनु चौहान का नाम ले रहा है। उत्तराखंड बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रदेश टॉप करने वाली इस लड़की का संघर्ष कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। ऐसी कहानियां फिल्मों में जरूर दिखाई देती हैं, लेकिन तनु के पिता का संघर्ष पढ़कर आपके आंखों में भी आंसू आ जाएगा।
किसानी काम करने वाले अनिल चौहान ने अपनी बेटी के जन्म के बाद ही निर्णय ले लिया था कि वह अपनी एक बेटी तनु के परवरिश के लिए अपनी जीवन लगाएंगे। लड़के की चाहत न करते हुए उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत की और उन्होंने बेटी को इसके बदले अपनी मेहनत और लगन से पूरे प्रदेश में अपने परिवार और शहर का नाम रोशन किया।
पढ़ाई के लिए चलाई 12 किलोमीटर साइकिल
तनु चौहान अपने गांव देवीपुरा से रोजाना महुवाडाबरा अपनी स्कूल राम लाल सिंह इंटर कॉलेज आती थी। अपनी पढ़ाई के लिए 12 किलोमीटर साइकिल से अपने स्कूल और ट्यूशन जाती थी। उनके पिता अपनी किसानी कर उसके लिए किताबें ओर जरूरी संसाधन मुहैया कराते रहे। हाईस्कूल के मैरिट लिस्ट में भी द्वितीय स्थान हासिल किया था।
आईएएस बनकर माता-पिता का नाम रोशन करने का है सपना
तनु का कहना है कि उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और अभाव के बावजूद कभी इसका असर मेरी पढ़ाई पर नहीं आने दिया। तनु का कहना है कि उनका सपना सिविल सेवा की तैयारी करना है और आईएएस बनकर अपने परिवार और अपने शहर का मान बढ़ाने उनका सपना है।
प्रकृति प्रेमी हैं तनु
तनु को बागवानी करने का बहुत शौक है वह हमेशा अपने पिता से पौधे लगाकर उनकी देखरेख करती है। तनु का कहना है कि प्रकृति से उन्हें बेहद लगाव है। उनसे हम काफी कुछ सीख सकते हैं जिस प्रकार एक पौधा अपने सीमित संसाधनों के बावजूद प्रकृति की गोद में खुद को एक मजबूत पेड़ के रूप में बनकर लोगों को छांव ओर फल देता है, उसी प्रकार हम भी संघर्षों से लड़ते हुए अपने समाज और परिवार के लिए कुछ अच्छा जरूर कर सकते हैं।
घर में नहीं है एंड्रॉयड मोबाइल, किताबें है दोस्त
तनु के पिता बताते हैं कि आज के युवाओं की इस पीढ़ी से काफी कुछ अलग तरह से तनु अपनी तैयारी करती हैं। उनके पास एक भी एंड्रॉयड मोबाइल तक नहीं हैं। तनु बताती हैं कि उनकी किताबों से दोस्ती है और स्कूल- कोचिंग के बाद इतना समय नहीं बचता कि वह किसी दूसरे ओर ध्यान लगाए।
सोशल मीडिया से तनु की है दूरी
तनु इंटरनेट मीडिया से ज्यादा किताबों पर ही भरोसा ज्यादा करती हैं। उन्होंने कहा कि इससे मुझे कोई अंतर महसूस नहीं होता। आधुनिकता के इस दौर में इंटरनेट, फेसबुक आदि सोशल साइट से दूर रही। छात्रा ने कहा कि अच्छे अंक परीक्षा के आखिरी महीनों में तैयारी करके नहीं आते। इसके लिए पूरे साल पढ़ना पड़ता है। जो हर दिन पढ़ाई करेगा, वही विशेष स्थान प्राप्त कर सकता है।