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सीआरएस से अनुमति के बाद भी आरओबी निर्माण में पेच

काशीपुर में निमार्णाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) में रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की तरफ से अनुमति मिलने के बाद अब तेजी से निर्माण कार्य होने की उम्मीद जगी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 11:28 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 11:28 PM (IST)
सीआरएस से अनुमति के बाद भी आरओबी निर्माण में पेच
सीआरएस से अनुमति के बाद भी आरओबी निर्माण में पेच

जागरण संवाददाता, काशीपुर : काशीपुर में निमार्णाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) में रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की तरफ से अनुमति मिलने के बाद अब तेजी से निर्माण कार्य होने की उम्मीद जगी है। रेलवे अधिकारियों की मानें तो सीआरएस से अनुमति के बाद तकनीकी तौर पर कंस्ट्रक्शन मैटेरियल की गुणवत्ता आरडीएसओ की तरफ से परखी जाएगी। रेलवे की टीम के क्लियरेंस के बाद आगे निर्माण शुरू होगा। रेलवे की रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन टीम कहीं भी रेलवे क्षेत्र में निर्माण होने से पहले कंस्ट्रक्शन मैटेरियल का क्लियरेंस करती है इसके बाद ही आरओबी के लिए गार्डर तैयार होगा।

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रामनगर रोड पर चल रहे आरओबी निर्माण पर समय-समय पर सवालिया निशान लगते रहें हैं। लुधियाना की दीपक बिल्डर्स ने 37 करोड़ की लागत से यह काम शुरू किया था। इसका निर्माण दिसंबर 2019 में पूरा होना था। तय समय से प्रोजेक्ट पूरा न होने पर विवाद बढ़ता दिखा। कभी सर्विस लेन तो कभी आरओबी की परिधि पर विवाद होता रहा है। अभी तक तीन डेडलाइन पार कर चुकी निर्माण कंपनी के लिए अब कोई बहाना नहीं मिलेगा क्योकि सीआरएस का हवाला देकर पिछले छह माह से सुस्त रफ्तार से काम आगे बढ़ाया जा रहा है। मामले में पिछले महीने ही कमिशनर ऑफ रेलवे सेफ्टी मो. लतीफ खान ने इसकी अनुमति जारी की थी। अब रेलवे क्षेत्र में काम आगे बढ़ाने के लिए निर्माण कंपनी को तेजी से काम करने का लाइसेंस तो मिल गया लेकिन कंसट्रक्शन मैटेरियल की रेलवे के आरडीएसओ विभाग से जांच के बाद आगे का काम बढ़ सकेगा। जानकारों का कहना है कि यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह कंसट्रक्शन का काम कितनी तेजी से करती है। कंसट्रक्शन मैटेरियल की क्लियरेंस के बाद रेलवे क्षेत्र में पिलर पर गार्डर रखवाने का काम इच्जतनगर डिविजन के निर्देशन में कंपनी द्वारा किया जाएगा।

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निर्माण कंपनी की सुस्ती पड़ रही भारी

काशीपुर में आरओबी निर्माण में सीआरएस की ओर से अनुमति न मिलने का बहाना देकर निर्माण कार्य सुस्त रफ्तार से किया जा रहा था। सेफ्टी कमिश्नर के क्लियरेंस के लगभग एक माह बीतने को है लेकिन निर्माण कंपनी द्वारा काम आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। ऐसे में निर्माण कंपनी कितना जल्दी रेलवे के सामने अपने कंसट्रक्शन मैटेरियल परीक्षण के लिए भेजती है यह देखने वाली बात होगी।

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