..तो क्लोजर रिपोर्ट लगाना बनेगा मजबूरी
एनएच मुआवजा घोटाले में जेल गए 24 आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में आरोप तय होने शुरू हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : एनएच मुआवजा घोटाले में जेल गए 24 आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में आरोप तय करने की कार्रवाई को तारीख लगनी शुरू हो चुकी है। अभी भी एसआइटी के सामने मुआवजा घोटाले की जांच में सामने आ चुके 50 के करीब लोगों की गिरफ्तारी शेष है। इनमें किसान से लेकर प्रभावशाली तक शामिल हैं। आरोप तय होने की कार्रवाई से एसआइटी के सामने क्लोजर रिपोर्ट लगाना कहीं मजबूरी न बन जाए।
उत्तराखंड में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बाद सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ¨सह रावत ने एनएच-74 चौड़ीकरण के दौरान दिए गए मुआवजे में तीन सौ करोड़ के घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ जांच का ऐलान किया था। सीबीआइ की जांच तो नहीं हो पाई, लेकिन जांच के लिए गठित एसआइटी ने तत्कालीन एसएसपी डॉ. सदानंद एस दाते के निर्देशन में 24 आरोपितों को जेल भेज दिया था। पीसीएस अधिकारियों पर नकेल कसने के साथ ही जांच में आइएएस अधिकारियों के नाम भी सामने आए तो उत्तराखंड में हलचल तेज हो गई। सरकार ने डॉ. पंकज पांडे और चंद्रेश यादव को निलंबित कर दिया। हालाकि बाद में चंद्रेश यादव को बहाल कर दिया गया, लेकिन डॉ. पंकज पांडे न्यायालय के चक्कर लगा अग्रिम जमानत के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। एसआइटी द्वारा जेल भेजे जा चुके 24 लोगों पर आरोप तय करने को लेकर न्यायालय में कार्रवाई चल रही है। उन पर आरोप तय होने के बाद दिए गए साक्ष्य के आधार पर ही जिरह का दौर चलता है। इसके बाद नए साक्ष्य संकलन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। ऐसे में एसआइटी के सामने आने वाले दिनों में जांच को पूरा करने को लेकर दबाव होगा। लेकिन जांच में अब तक सामने आ चुके 50 आरोपितों को गिरफ्तार किए बिना अंतिम चार्जशीट लगा पाना संभव नहीं होगा। अभी आइएएस अधिकारी डॉ. पंकज पांडे के खिलाफ डीओपीटी से अभियोजन की अनुमति भी बाकी है। ऐसे में एसआइटी के सामने उनको गिरफ्तार करना कहीं मजबूरी न बन जाए। न्यायालय ने भी बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट के औचित्य पर पहले ही सवाल उठाए हैं जिसके चलते अब तक जेल गए आरोपितों के खिलाफ आरोप तय होने से पूर्व क्लोजर रिपोर्ट लगाना एसआईटी की मजबूरी बन सकता है।