Move to Jagran APP

तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय..

बाजपुर में सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी महाराज के शहीदी दिवस पर आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 07:23 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 07:23 PM (IST)
तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय..
तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय..

संवाद सहयोगी, बाजपुर : सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी महाराज के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में गुरुद्वारा साहिब में धाíमक समागम का आयोजन किया गया। जिसमें पंथ प्रचारकों द्वारा गुरु महिमा का गुणगान कर संगत को निहाल किया गया।

loksabha election banner

इस मौके पर ज्ञानी दर्शन सिंह हजूरी रागी ने- जिसमें तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय.., इन पक्तियों का वर्णन करते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने करतारपुर साहिब की जंग में तलवार के बहुत जौहर दिखाए जिससे प्रसन्न होकर गुरु पिता गुरु हर गोविद साहिब जी ने आपका नाम त्याग मल से बदल कर तेग बहादुर रख दिया अर्थात आप तलवार के धनी हो। तेग चलाने में नहीं वरन तेग खाने में भी (बलिदान) में पीछे नहीं हटोगे। हजूरी ग्रंथी भाई राजेंद्र सिंह ने गुरुजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुऐ कहा कि गुरु तेगबहादुर जी की शिक्षा-दीक्षा गुरु-पिता गुरु हरिगोबिद साहिब की छत्र छाया में हुई। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। औरंगजेब धर्म का पक्का था खुद के धर्म के अलावा किसी और धर्म की प्रशंसा नहीं सुन सकता था, जिसके चलते उसने सबको इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश दिया। हुक्म दिया इस्लाम धर्म कबूल करो या मौत को गले लगाओ। जब इस तरह की जबरदस्ती से अन्य धर्म के लोगों का जीना मुश्किल हो गया। इस जुल्म के शिकार कश्मीर के पंडित गुरु तेगबहादुर के पास आए और उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकारने के लिए दबाव बनाने की जानकारी दी तथा जुल्म की इन्तहां होने की बात कहते हुए धर्म को बचाने की गुहार लगाई गई। जिस समय यह लोग समस्या सुना रहे थे उसी समय गुरु तेगबहादुर जी के नौ वर्षीय सुपुत्र बाला प्रीतम (गुरु गोविद सिंह) वहां आए और पिताजी से कश्मीरी पंडितों की सारी समस्या सुनी। गुरु साहिब ने कहा- पंडितों कि समस्या निदान के लिए बलिदान देना होगा। बाला प्रीतम ने कहा कि आपसे महान पुरुष मेरी नजर में कोई नहीं है, भले ही बलिदान देना पड़े पर आप इनके धर्म को बचाइए। उसकी यह बात सुनकर वहां उपस्थित लोगों ने पूछा कि अगर आपके पिता बलिदान दे देंगे तो आप यतीम हो जाएंगे और आपकी मां विधवा हो जाएगी। बालक ने कहा कि अगर मेरे अकेले के यतीम होने से लाखों लोग यतीम होने से बच सकते हैं और अकेले मेरी मां के विधवा होने से लाखों मां विधवा होने से बच सकती है तो मुझे यह स्वीकार है। फिर गुरु तेगबहादुर ने उन पंडितों से कहा कि जाकर औरंगजेब से कह दो अगर गुरु तेगबहादुर इस्लाम धारण कर ले तो हम भी कर लेंगे और अगर तुम उनसे इस्लाम धारण नहीं करा पाए तो हम भी इस्लाम धारण नहीं करेंगे और तुम हम पर जबरदस्ती नहीं कर पाओगे। औरंगजेब ने इस बात को स्वीकार कर लिया। गुरु तेगबहादुर दिल्ली में औरंगजेब के दरबार में स्वयं चलकर गए। वहां औरंगजेब ने उन्हें तरह-तरह के लालच दिए, लेकिन बात नहीं बनी तो उन पर बहुत सारे जुल्म किए। उन्हें कैद कर लिया गया, उनके दो शिष्यों को मारकर उन्हें डराने की कोशिश की। बात नहीं बनी तो दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु साहिब के शीश को काटने का हुक्म दे दिया और गुरु साहिब ने हंसते-हंसते अपना शीश कटाकर बलिदान दे दिया। इसलिए गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर एक गुरुद्वारा साहिब बना है, जिसका नाम गुरुद्वारा शीश गंज साहिब है। इस मौके पर कुलवंत सिंह, सर्वजीत सिंह, जगतार सिंह, परमजीत कौर, कुलवंत कौर, सुरेंद्र कौर, मनप्रीत आदि मौजूद थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.