Move to Jagran APP

खेतों से प्रयोगशाला की ओर हो शोध की गति : शर्मा

देश में 60 से अधिक कृषि विश्वविद्यालय होने के बाद भी किसान की आय औसतन 50 फीसद ही बढ़ पाई है, जिससे वे हताश हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 07:11 PM (IST)
खेतों से प्रयोगशाला की ओर हो शोध की गति : शर्मा
खेतों से प्रयोगशाला की ओर हो शोध की गति : शर्मा

संवाद सहयोगी, पंतनगर : देश में 60 से अधिक कृषि विश्वविद्यालय होने के बाद भी किसान की आय औसतन 50 से 60 हजार रुपये प्रतिवर्ष ही है। इससे उपज रही तंगी के चलते किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में कृषि शोध को प्रयोगशाला से खेतों के बजाय खेतों से प्रयोगशाला की ओर ले जाने की जरूरत है। साथ ही पारिस्थितिकी का मूल्याकन करने, नई आर्थिक योजनाओं पर ध्यान देने, विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने तथा उत्तराखंड सरकार के ग्रीन बजट पर कार्य करने की जरूरत है। यह बात जाने-माने कृषि विश्लेषक व पत्रकार देवेंद्र शर्मा ने शनिवार को जीबी पंत कृषि विवि के स्थापना दिवस पर गाधी हाल में बतौर मुख्य अतिथि कही।

loksabha election banner

शर्मा ने कहा कि 1970 से 2015 के बीच गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 76 से बढ़कर 1450 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचा है। इसमें 19 गुना वृद्धि हुई, जबकि एक सरकारी कर्मचारी के वेतन व डीए में 120 से 150 गुना, विवि व महाविद्यालयों के शिक्षकों के वेतन व डीए में 150 से 170 गुना तथा स्कूलों के शिक्षकों के वेतन व डीए में 280 से 320 गुना वृद्धि हुई है। ऐसे में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यदि 100 गुना भी किया जाए, तो वर्ष 2015 में यह लगभग 7600 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए था।

उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि यदि वे किसान की आवाज नहीं बने तो समय आने पर किसान भी उनका साथ छोड़ देंगे। उन्होंने पश्चिम की नकल की बजाय अपनी शक्तियों को जानने पर जोर दिया। शर्मा ने विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय कृषि को जानबूझ कर भूखा रखे जाने की मंशा को उजागर किया। उनके मुताबिक इससे अधिकतर जनता को गावों से पलायन कराकर शहरों में उद्योगों में मजदूरों के रूप में कार्य कराने की दृष्टि है। साथ ही कृषि उत्पाद को सस्ता रख उद्योगो के लिए उपलब्ध कराने सहित आर्थिकी में विकास को दर्शाने की नीयत भी प्रतीत हो रही है।

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने कहा कि उत्तराखंड में ऐसी परिस्थितिया पैदा करने की आवश्यकता है, जिससे लोग पलायन न करें। उन्होंने वैज्ञानिकों से पर्वतीय क्षेत्रों में स्वयं जाकर वहा की स्थिति को समझने तथा फसलों पर शोध किए जाने को कहा। डॉ. प्रताप ने पर्वतीय क्षेत्रों को अनुवांशिकी संसाधनों की खान बताया और कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं के बाद खाद्य सुरक्षा मिल जाने से किसान वैज्ञानिकों के साथ मिलकर शोध में रुचि ले सकते हैं, जिसका फायदा उठाया जाना चाहिए।

-बॉक्स में

प्रियंका को डॉ. ध्यान पाल सिंह मेमोरियल एक्सीलेंस अवार्ड

स्थापना दिवस के अवसर पर कुलपति एवं मुख्य अतिथि द्वारा विभिन्न महाविद्यालयों के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को अवार्ड/स्कालरशिप प्रदान किए गए। डॉ. ध्यान पाल सिंह मेमोरियल एक्सीलेंस अवार्ड 2017-18 गृह विज्ञान महाविद्यालय की प्रियंका गिनवाल को दिया गया। अमित गौतम मेमोरियल अवार्ड 2017-18 प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के पीयूष चौहान को मिला। मेरिट स्कालरशिप फॉर एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग स्टूडेंट 2017-18 प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के दीपक त्रिपाठी और अंबुज को दी गई। वरुण पंवार मेमोरियल अवार्ड 2017-18 कृषि महाविद्यालय के शुभम मुरडिया, कायनात, श्रेया परिहार एवं रुचि नेगी को मिला। कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने इन सभी विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र एवं अवार्ड/स्कालरशिप के चेक प्रदान किए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.