संन्यासियों के सहारे चरस की तस्करी
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : नशीले पदार्थों के धंधेबाजों ने तस्करी के नए तरीके निकाल लिए हैं
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : नशीले पदार्थों के धंधेबाजों ने तस्करी के नए तरीके निकाल लिए हैं। वे नशीले पदार्थ की तस्करी में बाबाओं का भी सहारा ले रहे हैं। मंगलवार को भारी मात्रा में बरामद चरस के साथ गिरफ्तार दो में से एक तस्कर भी बाबा है। फिलहाल पुलिस गिरफ्तार तस्करों से जुड़े लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
बता दें कि ऊधम¨सहनगर में नशीले पदार्थों की तस्करी जमकर हो रही है। साथ ही दूसरे राज्यों और प्रदेशों के तस्करों के लिए भी जिला सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। सूत्रों के मुताबिक उप्र, पंजाब समेत अन्य राज्यों से नशीले पदार्थ की तस्करी पर्वतीय क्षेत्रों में करने के लिए ऊधम¨सहनगर जिले का सहारा लिया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों से चरस की तस्करी के लिए भी जिला मुफीद बना हुआ है। ऐसे में तस्कर पुलिस से बचने के लिए बाबाओं का भी सहारा लेने लगे हैं। एसटीएफ प्रभारी एमपी ¨सह ने बताया कि गिरफ्तार बाबा विनोद गिरि मूलरूप से उत्तर प्रदेश, जिला फरुखाबाद, थाना फतेहगढ़ के कोटरा गांव का रहने वाला है। 25 साल पहले वह संन्यास ले चुका है। पूछताछ में उसने बताया कि उसकी हरिद्वार निवासी अंकित से दोस्ती हो गई थी। इसके बाद उन्होंने चरस तस्करी का धंधा शुरू कर दिया। उसके बाबा होने पर पुलिस शक भी नहीं करती थी। वे पहाड़ों से कई बार चरस की तस्करी कर चुके हैं। इंसेट-
एक किलो में मिलते हैं 10 हजार
एसटीएफ के मुताबिक पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे 40 से 50 हजार रुपये किलो के हिसाब से चरस खरीदकर लाते हैं। इसके बाद हरिद्वार में वह 50 से 60 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच देते हैं। बताया कि दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में चरस पहुंचने पर उसकी कीमत 1.50 लाख रुपये प्रति किलो तक हो जाती है।