दक्षिण सहकारी समिति चुनाव में महाभारत, फोर्स तैनात
जागरण संवाददाता, किच्छा : दक्षिण किच्छा किसान सहकारी समिति चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर
जागरण संवाददाता, किच्छा : दक्षिण किच्छा किसान सहकारी समिति चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता आमने-सामने आ जाने से टकराव की स्थिति बन गई। हंगामे के चलते पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी। कांग्रेसियों ने मनमाने तरीके से दो तरह की नियमों को सरकार के इशारे पर चलाने का आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया। पहले तहसीलदार उसके बाद एसडीएम और सीओ भी मौके पर पहुंच गए।
समिति के 28 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। सोमवार को नामांकन के उपरांत मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच के बाद आपत्ति के निस्तारण के बाद सूची जारी करनी थी, लेकिन कांग्रेस द्वारा दी गई आपत्ति के बाद भी आपत्ति देने वालों को न बुलाए जाने को लेकर कांग्रेस पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण बिष्ट चुनाव अधिकारी से मिलने जाने लगे तो भाजपाई भी पहुंच गए और अफरा-तफरी का माहौल होने पर दोनों पक्षों को बाहर कर दिया गया। जिस पर परिसर के बाहर दोनों के आमने-सामने आ जाने पर पुलिस फोर्स बुलाना पड़ा। दोनों पक्षों में जमकर नोकझोंक होती रही। पुलिस ने बामुश्किल दोनों पक्षों को समझा बुझाकर अलग किया, लेकिन टकराव की स्थिति को देख फोर्स मौके पर ही तैनात कर दिया गया। सूची चस्पा होने के बाद निरस्त किए गए नामांकन की सूची देख कांग्रेसियों का पारा चढ़ गया। आरोप है जिस नियम के तहत नामांकन निरस्त किए गए हैं वह सोची समझी साजिश का हिस्सा है। आरोप प्रत्यारोप के बीच कांग्रेसी समिति परिसर के सामने धरने पर बैठ सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हंगामे की सूचना पर एसडीएम एनसी दुर्गापाल व सीओ हिमांशु शाह भी मौके पर पहुंच गए। जिससे देर शाम तक समिति के बाहर हंगामे की स्थिति बनी रही और दोनों पक्ष भी बाहर जमे रहे। इस दौरान निवृतमान पालिकाध्यक्ष महेंद्र चावला, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता संजीव कुमार ¨सह, प्रदेश महासचिव डा. गणेश उपाध्याय, नगर अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, जीवन पंत, दर्शन कोली, मेजर ¨सह, कृष्ण कुमार ¨सह बाबू, धर्मेंद्र ¨सधी आदि मौजूद थे।
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मनमानी करनी थी तो चुनाव का ढोंग क्यों
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता संजीव कुमार ¨सह ने कहा चुनाव के नाम पर लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। सरकार को मनमानी ही करनी थी तो चुनाव का ढोंग क्यों रचा गया। अपने ही हिसाब से सब कुछ कर लेना था। कहा किसानों की संस्था में इस तरह की भाजपा की राजनीति का जवाब जनता देगी। जिस नियम 47 को आधार बना कर राज रानी व सीता राम का नामांकन निरस्त किया गया। जबकि सरोज सहित अन्य कुछ लोगों के खाते में धनराशि होने पर भी नामांकन निरस्त नहीं किया गया। चुनाव अधिकारी सत्ता के दवाब में दोहरी नीति पर काम करते रहे।
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सवा घंटा बिलंब से चस्पा हुई सूची
नामांकन पत्रों की जांच व आपत्तियों की सुनवाई के बाद निरस्त किए गए नामांकन की सूची दोपहर एक बजे चस्पा की जानी चाहिए थी। उसके बाद नाम वापसी की प्रक्रिया होनी थी, लेकिन सूची सवा घंटा बिलंब से 2:15 पर चस्पा की गई। जिसके चलते नाम वापसी की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई।
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विरेंद्र के नाम पर आपत्ति पर होती रही बहस
बंडिया से नामांकन करने वाले विरेंद्र पुत्र कुंवरसेन के नामांकन को लेकर सवाल उठते रहे। कांग्रेस पूर्व जिलाध्यक्ष का कहना था कि इस नाम का व्यक्ति बंडिया गांव में नहीं है। फर्जी तरीके से उसका नामांकन कराने का खेल खेला गया। नामांकन पत्र में प्रस्तावक भी शपथ पत्र लेकर शिकायत करने गए लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।