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महापुरुषों की याद दिलाता है रतनपुर गांव

इतिहास के पन्नों में भले ही देश के महापुरुषों की जीवनी वृतांतों का उल्लेख हो लेकिन नई पीढ़ी महापुरुषों के बारे में जानने और पहचानने की प्रेरणा देने का काम रतनपुर ग्रामसभा के ग्राम प्रधान व उनके पति कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 07:01 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 07:01 AM (IST)
महापुरुषों की याद दिलाता है रतनपुर गांव
महापुरुषों की याद दिलाता है रतनपुर गांव

संवाद सहयोगी, खटीमा : इतिहास के पन्नों में भले ही देश के महापुरुषों की जीवनी वृतांतों का उल्लेख हो, लेकिन नई पीढ़ी को उन महापुरुषों के बारे में जानने और पहचानने की प्रेरणा देने का काम रतनपुर ग्रामसभा के ग्राम प्रधान व उनके पति कर रहे हैं। यदि आप गांव पहुंचेंगे तो दीवारों पर महापुरुषों के चित्र के साथ उनकी जीवनी पढ़ने को मिलेगी। अपने गांव की अलग और अच्छी पहचान बनाने के लिए इस गांव के प्रधान की हर कोई सराहना कर रहा है।

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ऐसे तो यहां ग्राम सभाएं 64 हैं। लेकिन विकासखंड से चौदह किलोमीटर दूर रतनपुर एक ग्रामसभा एक ऐसी है जो आजकल सभी ग्रामसभाओं में चर्चा बनी हुई है। अक्टूबर 2019 में गांव के सरपंच की कमान मिलने के बाद गांव की प्रधान कमला मेहरा पत्नी श्याम सिंह मेहरा बादशाह ने कुछ अलग करने की सोची और शुरू कर दी मुहिम। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली प्रधान कमला ने गांव में दीवारों पर महाराणा प्रताप, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार बल्लभ भाई पटेल आदि महापुरुषों समेत गौरा देवी, अस्सी घाट बनारस आदि पवित्र स्थलों के चित्र बनाकर उनकी जीवनी लिखवा रहीं हैं। इस मुहिम के उद्देश्य के बारे में पूछा तो प्रधान ने कहा जिन महापुरुषों की बदौलत हम खुले में सांस ले रहे हैं उन्हें याद रखना और लोगों को याद दिलाना है। नई पीढ़ी महापुरुषों के चित्रों को देख प्रेरणा ही नहीं लेंगे बल्कि महापुरुषों की तरह बन सकेंगे। खास बात यह है कि प्रधान ने इसके लिए न सरकारी बजट का मुंह ताका न किसी से मदद की गुहार की। इसके लिए स्वयं के खर्च पर संदेश देकर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। प्रधान कमला ने बताया कि इसके लिए उनके पति श्याम सिंह मेहरा ने ऊर्जा दी है। उन्होंने बताया गांव को मॉडल बनाने के लिए हर प्रयास किए जाऐंगे।

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रंगों के जरिए स्वच्छता की अलख

प्रधान व उनके पति के इस मुहिम में ग्रामीण भी सरीख होने लगे हैं। 150 पोलों पर रंगों से स्लोगन लिखने का काम अंतिम चरण में चल रहा है। जिसमें नशा नहीं करेंगे, गांव को स्वच्छ रखेंगे, पॉलीथिन मुक्त अपना गांव, बेटी पढ़ाओ बेटी को बढ़ाओ, साक्षरता आदि स्लोगन से संदेश दिया जा रहा है।


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