भूखों की भूख का अहसास होना ही रमजान
संवाद सहयोगी, सितारगंज : शरीयत-ए- इस्लामिया में रमजान का बड़ा महत्व है। सूरज निकलने से पह
संवाद सहयोगी, सितारगंज : शरीयत-ए- इस्लामिया में रमजान का बड़ा महत्व है। सूरज निकलने से पहले और सूरज डूबने तक रोजा हर मोमिन यानि मुस्लिम पर फर्ज है। इस बीच खाने-पीने की पाबंदी, नाचगाना, बुरी बातों से अपने आप को रोका जाता है। जिसके बाद रमजान रखने वाले को भूखों की भूख अहसास होता है।
रमजान के मुबारक माह में तीस दिन तक जन्नत यानि स्वर्ग के दरवाजे खोल दिए जाते है। जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है। शरीयत-ए-इस्लामिया के मुताबिक इस मुबारक माह में शैतान को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। इसकी बड़ी फजीलत यानि महत्व है। रमजान की आमद तक पूरे साल तक जन्नत को सजाया जाता है। मौलाना सलीम रिजवी बताते है कि इमान की हालत में जो कोई रमजान की नियत से रोजा रखेगा उसके सारे गुनाह रब माफ कर देता है। जिसके बाद वह पैदा हुए बच्चे के सामान हो जाता है। मुबारक माह में तीस दिन तक हर मस्जिद में कुरान शरीफ पढ़ा जाता है। जिसे तराबीह कहते है। अल्लाह के नबी फरमाते है कि जो बंदा एक दिन रोजा रखेगा उसकी 70 साल तक नरक की आग से दूरी बना दी जाएगी। शुक्रवार को रमजान के तीसरे जुमे में विभिन्न मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज अदा की गई। इस दौरान मस्जिदों के इमामों ने भी रमजान की फजीलत यानि बरकतें महत्व के बारे में जानकारी दी।