वैज्ञानिक शोध से प्राकृतिक खेती में अग्रणी भूमिका निभाएं पंत विवि
प्राचीन कृषि पद्धतियां इतनी समृद्धि थीं कि हजारों साल खेती करने के बावजूद पर्यावरण मृदा पानी फसल आदि की गुणवत्ता बनी रही जिससे लोगों की सेहत भी अच्छी थी।
संवाद सूत्र, पंतनगर : प्राचीन कृषि पद्धतियां इतनी समृद्धि थीं कि हजारों साल खेती करने के बावजूद पर्यावरण, मृदा, पानी, फसल आदि की गुणवत्ता बनी रही, जिससे लोगों की सेहत भी अच्छी थी। इसी तरह की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कृषि विज्ञानी इसे विज्ञान की तरह देखें। वैज्ञानिक शोध के जरिये प्राकृतिक खेती की संकल्पना को साकार करने की जरूरत है, जिससे मृदा, हवा, पानी व फसल की गुणवत्ता सुरक्षित रहे। इस मामले में पंत विवि उसी प्रकार अग्रणी भूमिका में अद्भुत कार्य करें, जिस प्रकार विवि ने हरित क्रांति के जरिये देश को आत्मनिर्भर बनाया।
यह बातें राष्ट्रीय नीति अयोग के उपाध्यक्ष डा.राजीव कुमार ने राष्ट्रीय युवा दिवस पर गोविद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के विवेकानंद स्वाध्याय मंडल की ओर से मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय आनलाइन संगोष्ठी में कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस समय देश में शिप टू माउथ व्यवस्था थी, यानि अमेरिका से शिप के जरिये अनाज आता था तो उसी को लोग खाते थे। रामकृष्ण मिशन कोझीकोड केरल के नरसिम्हा नंद महाराज ने स्वामी विवेकानंद के आर्थिक दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विवेकानंद ने कहा था कि केरल के मसालों को अमेरिका में बेच कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं। पंत विवि के कुलपति डा. तेज प्रताप ने आत्मनिर्भरता में देश को खड़े करने के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। कृषि महाविद्यालय के डीन डाक्टर शिवेंद्र कुमार कश्यप ने विवेकानंद स्वाध्याय मंडल के जरिये होने वाले कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। संगोष्ठी में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य का वीडियो संदेश भी सुनाया गया। इस दौरान रोल आफ यूथ इन एचिविग आत्मनिर्भर भारत नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। इस मौके पर डाक्टर एसके गुरु सहित 80 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए।