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बूढ़ी पाइप लाइनें तोड़ रहीं दम, व्यवस्था बेदम

राजू मिताड़ी, खटीमा एक-दो दिनों से नहीं बल्कि पिछले दस दिनों से सीमांत में पानी की समस्या बनी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 05:15 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 05:15 PM (IST)
बूढ़ी पाइप लाइनें तोड़ रहीं दम, व्यवस्था बेदम
बूढ़ी पाइप लाइनें तोड़ रहीं दम, व्यवस्था बेदम

राजू मिताड़ी, खटीमा

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एक-दो दिनों से नहीं बल्कि पिछले दस दिनों से सीमांत में पानी की समस्या बनी है। अब स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोगों को पानी मिला मुश्किल हो गया है। शहर से लेकर गांव तक पानी के लिए हाहाकार मचा है, लेकिन जिम्मेदार लोगों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। सन 1975 में बिछी जर्जर पाइप लाइनें दम तोड़ रही हैं। कदम-कदम पर टूटी लाइनों से पानी लोगों के घरों तक पहुंचने के बजाय नालियों में बह रहा है। शहर का तीन चौथाई हिस्सा प्यासा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूबवेल हांफने लगे हैं। उपभोक्ता शुद्ध पानी की तलाश में भटक रहे हैं। बूढ़ी हो चुकी पेयजल व्यवस्था को पटरी पर दौड़ाना विभाग के लिए हवा के विपरीत दिशा में पतंग उड़ाने जैसा हो गया है।

इसे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता या उच्च अधिकरियों की काहिली ही कहेंगे। जल संस्थान ने शहर व ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए 5.28 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव पास होना तो दूर दो सालों से इस संदर्भ में शासन से कोई जवाब भी नहीं आया। अब ऐसे में नलों से पानी की बूंद टपकने का कई दिनों से इंतजार करने वालों के जेहन में आक्रोश पैदा होना लाजमी है। आखिर इन व्यवस्थाओं का जिम्मेदार कौन है, कब तक लोग पानी के लिए तरसेंगे, कौन उनकी समस्याओं को ठीक कर पाएगा, जनता के पास ऐसे सवालों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन जिम्मेदार चाहे वह अफसर हो या फिर नेता कोई इस बड़ी पानी की समस्या को लेकर संजीदा नहीं दिख रहा।

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लीकेज बनी सबसे बड़ी समस्या

शहर में अतिक्रमण अभियान के दौरान बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें ढ़हाई गई। भारी भरकम मलबा गिरने से कई जगह पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं। लाइनें सीमेंटेड होने के चलते इन्हें जोड़ने में विभाग को काफी दिक्कतें हो रही हैं। भारी मलबे के नीचे टूटी लाइनों को जोड़ने में कई दिन बीत गए हैं, लेकिन समस्या जस की तस है। लोहियापुल, मेलाघाट रोड पकडि़या, अमाऊं में लीकेज की समस्या बनी है।

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टैंकर के पानी के लिए भी लगाना पड़ रहा जैक

हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों को टैंकर से पानी मंगाने में भी जैक लगाना पड़ रहा है। दरअसल, विभाग के पास एक ही टैंकर है। जिससे हर जगह पानी देना संभव नहीं हो रहा है। इसलिए सितारगंज जलसंस्थान से एक और टैंकर मंगा लिया है। विभाग जैसे तैसे टैंकर के जरिये लोगों को पानी उपलब्ध करा रहा है।

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एक महीने 10 दिन से 18 गांव के वाशिंदे प्यासे

एक महीने 10 दिन से बाधित चल रही डेढ़ दर्जन गांवों को जलापूर्ति करने वाली 33 वर्ष पुरानी देवरी गांव की पेयजल योजना को दुरस्त नहीं किया जा सका है। जिसके चलते योजना से जुड़े गांवों के उपभोक्ताओं को शुद्घ पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। कहने को विभाग ने दस दिन के भीतर दो रिबोर मशीनें वहां भेज दी हैं, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। वर्ष 1984-85 में देवरी गांव में जल संस्थान का नलकूप स्थापित किया गया था। तहसील मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित इस परियोजना से चांदपुर, दियां, बिरिया मझोला, झनकट, सबौरा, बनकटिया, जसारी, रतनपुर, गांगी-गिधौर समेत डेढ़ दर्जन गांवों को जलापूर्ति की जाती थी। 15 मई को देवरी पेयजल योजना भूमिगत जल खत्म होने के कारण बंद हो गई।

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11 ओवरहैड टैंक के लिए 15 ट्यूबवेल

शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति के लिए 11 ओवरहैड टैंक बनाए हैं। जो नगरा तराई, नौगवांनाथ, देवरी, प्रतापपुर, सुनपहर, श्रीपुर बिछवा, टेडाघाट, पकडि़या सुजिया महोलिया, जल संस्थान परिसर में दो स्थित हैं। इनकों भरने के लिए 15 ट्यूबवेल हैं। जिसमें चार ट्यूबवेल शहर के आवेर हैड टैंक को भरते हैं।

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ये है क्षमता

जल संस्थान परिसर में बने ओवरहैड टैंक की क्षमता एक हजार केएल है जबकि दूसरे टैंक की क्षमता 130 केएल है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 250 व 300 केएल के टैंक हैं।

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15 फिट नीचे पहुंचा वाटर लेबल

भीषण गर्मी और खेतों में सिंचाई के लिए चल रहे इंजन से वाटर लेवल 10 से 15 फीट नीचे आ गया है। हालांकि जल संस्थान के विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे उनके ट्यूबवेल में कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है।

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इन जगहों पर है किल्लत

पानी को लेकर सबसे अधिक किल्लत गौटिया, अमाऊं, वार्ड 6,7, हनुमान मंदिर, प्रेम टाकीज गली, दुग्ध डेरी के पीछे, कंजाबाग रोड आदि मोहल्लों में जलापूर्ति ठप रही। क्षतिग्रस्त लाइन को तो विभाग ने कुछ जगहों पर ठीक करा दिया है। लेकिन अभी भी कई मोहल्लों में जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। इसी बीच गौटिया में पानी की किल्लत से गुस्साए लोगों ने हैंडपंप के समीप खाली बर्तनों के साथ प्रदर्शन किया।

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पुरानी लाइनों के सहारे पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से चलाना मुश्किल है।

व्यवस्थाओं के समाधान को दो साल पहले पांच करोड़ का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अभी तक कोई रेस्पांस नहीं मिला। जुलाई में डिवीजन खुलने से सुधार होने की उम्मीद है। शहर में पानी की व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है।

- आरके श्रीवास्तव, एसडीओ जल संस्थान


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