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फर्जी फर्मो मास्टरमाइंड की तलाश में जुटे अफसर

अरविद कुमार सिंह रुद्रपुर कारोबारी भी इतने शातिर किस्म हैं कि सिडकुल की आड़ में ऊध्

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 11:51 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 06:16 AM (IST)
फर्जी फर्मो मास्टरमाइंड की तलाश में जुटे अफसर
फर्जी फर्मो मास्टरमाइंड की तलाश में जुटे अफसर

अरविद कुमार सिंह

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रुद्रपुर: कारोबारी भी इतने शातिर किस्म हैं कि सिडकुल की आड़ में ऊधमसिंह नगर को चुना है। फर्जी फर्म बनाकर दो माह में आठ हजार करोड़ का सर्कुलर ट्रेडिंग कर दिया। इस खेल के मास्टर माइंड की तलाश में राज्य कर विभाग के अफसर जुट गए हैं। कर चोरी मामले की आंच दिल्ली व हरियाणा तक पहुंचती दिख रही है।

यूएस नगर में रुद्रपुर व सितारगंज में सिडकुल है। यहां से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब क्षेत्र तक कारोबार होता है। औद्योगिक क्षेत्र होने के नाते फर्जीवाड़ा के लिए इस जगह का चुनाव किया गया। कुछ दिन पहले करीब 20 फर्मो के जरिये फर्जी कागजों पर करोड़ों रुपये का कारोबार कर लाखों रुपये की कर चोरी का मामला प्रकाश में आया था। यूएस नगर से कंपनियों से उत्पादन होता है और यहां से देश के विभिन्न शहरों में आपूर्ति होती है। इसकी आड़ में दिल्ली व हरियाणा के कुछ लोगों ने एक ही नाम पर चार से पांच फर्म बनाकर जीएसटी में आवेदन कर दिया। कुछ उत्पादों की जीएसटी को राज्य सरकार तो कुछ केंद्र सरकार देखती है। कारोबारियों ने केंद्र सरकार में फर्में पंजीकरण के लिए आवेदन किए और तीन दिन बाद से कारोबार शुरू कर दिए। सिर्फ कागजों पर बेच दिए करोड़ों के चप्पल खास बात यह है कि कारोबारी जिन फर्मो का पंजीयन कराया था, उनका पता यूएसनगर दिखाया गया। यहां से प्लास्टिक दाना गुजरात व अन्य राज्यों से खरीदकर यहां पर चप्पल बना दिए और आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु में बेच दिए। कागजों पर आठ हजार करोड़ रुपये का सर्कुलर ट्रेडिंग कर 1455 करोड़ रुपये की चोरी कर ली। यानि धरातल पर न तो फर्म है और न कारोबार यहां तक की माल भी कहीं नहीं भेजा गया। मास्टर माइंड तक पहुंचना चुनौती राज्य कर विभाग के अफसरों के मुताबिक इस खेल में कारोबारी नहीं, बल्कि कोई मास्टरमाइंड है, जो आइटी व कारोबार के एक्सपर्ट है। यूएस नगर के अफसरों ने एक माह पहले ही सर्कुलर टृेडिग की पुख्ता सूचना सेंटृल जीएसटी को दे दी थी। इसके बाद फर्जी फर्मो पर नजर रखी गई और पुख्ता जानकारी हासिल करने के साथ एक साथ देश में छापेमारी की और मामला फर्जी पकड़ा गया। पहले पंजीयन कराने के बाद अफसर मौके पर जाकर सत्यापन करते थे। हालांकि ऑनलाइन सिस्टम होने पर भी सत्यापन किया जाता है। यदि फर्में राज्य सरकार की जीएसटी में पंजीयन कराया गया होता तो यहां के विभाग के अफसर मौके पर सत्यापन करते हैं और पहले ही पकड़ में आ जाते हैं। इनसेट ऐसे हुआ खुलासा रुद्रपुर: यूएस नगर के राज्य कर विभाग की अफसरों ने ऑनलाइन फर्मों के कारोबार पर नजर रखी थी तो एक माह पहले पाया गया कि एक दिन में अचानक सौ करोड़ का कारोबार हुआ। अगले दिन दो सौ करोड़ की खरीद-फरोख्त हुई, मगर टैक्स जमा नहीं हो रहा है। यह प्रक्रिया कुछ दिन चली और जांच की गई तो पता चला कि यह फर्जी फर्में हैं और धरातल पर फर्में नहीं हैं। इसकी सूचना सेंटृल जीएसटी को भेजी गई थी और कहां से कच्चा माल आया और कहां-कहां तैयार माल बेचा गया। इस आधार पर देश के कई राज्यों में संचालित फर्मों पर छापेमारी की गई तो मौके पर उस नाम के फर्में नहीं मिलीं।

इनसेट इस खेल में हरियाणा व दिल्ली से जुड़े तार

रुद्रपुर: फर्जी फर्में बनाकर आरटीसी का लाभ लेने वालों के तार दिल्ली व हरियाणा से जुडे हैं। कारोबारी एक ही नाम पर कई फर्मे बना ली और फोटो एक ही व्यक्ति के हैं। इस पर अफसरों की नजर हैं।कारोबारी नेट से किसी का बिजली बिल सहित अन्य कागजात जो जीएसटी में पंजीकरण के लिए जरुरत पड़ती हैं, उन्हें निकाल कर पंजीयन करा लिया। जो डमी के तौर पर कारोबारियों ने फर्में बनाई हैं।


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