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भरारों पर अवतरित होते हैं नाग देवता

संवाद सहयोगी, खटीमा : थारू जनजाति अपने रीति रिवाज व अनूठी परंपराओं के लिए जानी जाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 06:40 PM (IST)
भरारों पर अवतरित होते हैं नाग देवता
भरारों पर अवतरित होते हैं नाग देवता

संवाद सहयोगी, खटीमा : थारू जनजाति अपने रीति रिवाज व अनूठी परंपराओं के लिए जानी जाती है। शादी ब्याह से लेकर तीज त्योहार मनाने का तरीका सब कुछ परंपरागत होता है, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें बदलाव भी अब दिखने लगा हैं। थरुवाट में नागपंचमी का पर्व विशेष महत्व रखता है। नागपंचमी से शुरू होने वाला पर्व 15 दिन तक गांव-गांव आयोजित किया जाता है।

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सनातन परंपरा में नागपंचमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हिंदू पंचाग के अनुसार सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है, लेकिन थरुवाट में नाग पंचमी एकदम हटकर मनाई जाती है। नाग पंचमी से 15 दिन तक चलते रहने वाले आयोजन में गांव की सुख समृद्घि के लिए पूजा होती है। गांव के सार्वजनिक स्थल पर थारू समाज के लोग एकत्रित होते हैं। यहां पर भरारे (देव डांगर) नाग देवता का आह्वान करते हैं। इन भरारों पर ही नाग देवता का अवतार होता है। जिस भरारे पर नाग देवता अवतरित होते हैं वह स्वयं को लोहे के चाबुक से पीटते हैं। नाग देवता से गांव के लोग अपनी समस्याएं पूछते हैं। कोई अपनी बीमारी सही करने की गुहार लगाता है।

नागपंचमी हटकर मनाए जाने के सवाल पर पूर्व विधायक गोपाल सिंह राणा कहते हैं कि अब पुरानी परंपराएं धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं, लेकिन गाव में आज भी कई जगह इस तरह के आयोजन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सुख समृद्घि, भूत-पिशाच, बीमारी को गांव से भगाने के लिए किया जाता है।


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