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वित्तमंत्री पंत बोले, जीएसटी से कम हुर्इ हैं व्यापारियों की परेशानियां

वित्तमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि जीएसटी से संबंधित कोर्इ भी दिक्कत किसी भी व्यापारी को आती है तो वह लिखित में दें।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 07:59 PM (IST)
वित्तमंत्री पंत बोले, जीएसटी से कम हुर्इ हैं व्यापारियों की परेशानियां
वित्तमंत्री पंत बोले, जीएसटी से कम हुर्इ हैं व्यापारियों की परेशानियां

काशीपुर, जेएनएन। वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि एक जुलाई 2017 को पूरे देश में जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी। उससे पहले 17 तरह के टैक्स लागू थे। जिन्हें अदा करने में व्यापारियों और उद्यमियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। आम उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते वस्तुएं बहुत महंगी हो जाती थीं। जीएसटी प्रणाली के बाद समस्त रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइल करने के साथ ही जीएसटी का रिफंड भी ऑनलाइन हो गया है। जिससे व्यापारियों को समस्त परेशानियों से छुटकारा मिल चुका है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से संबंधित कोर्इ भी दिक्कत किसी भी व्यापारी को आती है तो वह लिखित में दें। शासन स्तर से समस्या को दूर करने की कोशिश की जाएगी। 

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कुमाऊं-गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सभागार में जीएसटी की विस्तृत जानकारी के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान केजीसीसीआइ अध्यक्ष अशोक बंसल ने वित्त मंत्री को अवगत कराया कि देश में जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद राज्य के उद्योगों को मिलने वाला सेंट्रल एक्साइज का लाभ मिलना बंद हो गया है। इसके तहत केंद्र द्वारा उद्योगों को 58 फीसद अंश की प्रतिपूर्ति की जा रही है, परंतु 42 फीसद अंश उद्योगों को स्वयं वहन करना पड़ रहा है। इससे उद्योगों को आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। 

उन्होंने उद्योगों को सीजीएसटी का शेष 42 फीसद अंश राज्य सरकार द्वारा उद्योगों को वापस किए जाने की मांग की। कहा कि राज्य वित्तीय वर्ष 1988-89 से 2017-18 तक के समस्त करों के पुराने बकाए को जिन्हें सरकार वसूल नहीं कर पाई थी। ऐसे बकाया माफी के लिए राज्य सरकार जनहित में योजना लाए। जीएसटी के तहत व्यापारियों द्वारा राज्यवार पंजीकरण कराया जाना एक जटिल समस्या है। सभी मूल्यांकनकर्ताओं का एक ही केंद्रीयकृत पंजीकरण कराया जाना चाहिए। 

क्रेडिट रिवर्सल अनजस्टिफाईड होने की स्थिति में यदि वेंडर को बिल का भुगतान निर्धारित अगले 180 दिन में नहीं होता है। तो भुगतान की अवधि को एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। हाई सीज सेल्स के आधार पर माल की बिक्री पर दोहरे कराधान को समाप्त किया जाए। 

उन्होंने इनवॉयस की स्कैन और जीरोक्स कॉपी पर भी जीएसटी क्रेडिट की अनुमति प्रदान करने के साथ ही व्यापारियों के हित में अन्य मांगें रखीं। इस पर कैबिनेट मंत्री पंत ने कहा कि जीएसटी में समय-समय पर आने वाली समस्याओं का विश्लेषण कर उसमें संशोधन कराने के लिए केंद्र स्तर पर जीएसटी काउंसिल के नाम से इमपावर्ड कमेटी का गठन किया गया है। जो समय-समय पर आवश्यकता के अनुरूप संशोधन करती है। 

उन्होंने ये भी कहा कि कहा राज्य में व्यापारिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए हम प्रयास कर रहे हैं कि उद्योग, व्यापार और शासन के मध्य इंस्पेक्टर राज को खत्म कर दिया जाए। 

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