Move to Jagran APP

Lumpy Skin Disease : उत्तराखंड के पशु पालकों को निर्देश, दूसरे प्रदेश से न खरीदें मवेशी

Lumpy Skin Disease गायों में तेजी से फैल रही लंपी स्किन डिजीज वायरस को देखते हुए काशीपुर पशु पालन-कृषि विज्ञान केंद्र और पशु चिकित्सालय सर्तक हो गया है। ऊधम सिंह नगर जिले में गोट पॉक्स वैक्सीन से 12 हजार गायों का टीकाकरण किया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 02:57 PM (IST)
Lumpy Skin Disease : उत्तराखंड के पशु पालकों को निर्देश, दूसरे प्रदेश से न खरीदें मवेशी

खेमराज वर्मा, काशीपुर : Lumpy Skin Disease : गायों में तेजी से फैल रही लंपी स्किन डिजीज वायरस को देखते हुए काशीपुर पशु पालन-कृषि विज्ञान केंद्र और पशु चिकित्सालय सर्तक हो गया है। ऊधम सिंह नगर जिले में गोट पॉक्स वैक्सीन से 12 हजार गायों का टीकाकरण किया गया है।

loksabha election banner

गायों को लंपी स्किन डिजीज वायरस से बचाने के लिए टीकाकरण ही मात्र एक अच्छा उपाय है। इसके साथ ही पशु पालकों एवं डेरी संचालकों को निर्देश जारी किया गया है कि वह दूसरे प्रदेश से गायों और अन्य पशुओं की खरीद और बिक्री ना करें।

पशु पालन-कृषि विज्ञान केंद्र काशीपुर के एसोसिएट डॉयरेक्टर डॉ अनिल सैनी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज वायरस गाय, भैंस, भेड़ और बकरियों में फैलता है। इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर बड़ी-बड़ी गांठ पड़ जाती हैं, जो बाद में फूट जाती हैं तथा उनसे खून बहने लगता है।

यह बीमारी पशुओं में होने वाले परजीवी से एक जानवर से दूसरे जानवर को काटने से तेजी से फैलती है। इस बीमारी में पशुओं को तेज बुखार आना, खाना पीना छोड़ देते हैं। यह बीमारी पिछले वर्ष काशीपुर के एक डेयरी फार्म के 26 पशु प्रभावित हुए थे। जिसमें से एक पशुओं की मौत हो गई थी।

काशीपुर में 18 हजार गाएं

काशीपुर क्षेत्र में पशु पालकों द्वारा करीब 18 हजार गायों को पाला गया है। जिसमें से चार से छह गाय पालने वाले करीब 950 पालक हैं। जबकि, 50 से 500 व अधिक पालकों की संख्या करीब 10 है।

इन सभी डेरी फार्म संचालकों को बचाव के लिए विशेष निर्देश जारी किया गया है। इसके साथ ही उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से गाय एवं अन्य पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

लंपी स्किन डिजीज का लक्ष्ण

पशुओं में बुखार, स्किन पर छाले एवं गांठ के घाव दिखाई देते हैं। गायों में इस वायरस के प्रवेश करने के सात से 14 दिन बाद गांठ के रूप में दिखाई देता है। पशु में यह वायरस 15 से 20 दिन तक जिंदा रहता है। इस प्रकार के लक्ष्ण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक या पशु चिकित्सालय से संपर्क करके इलाज करना चाहिए।

क्या कहते हैं पशु चिकित्सक

पशु चिकित्सालय-काशीपुर के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश दुम्का ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज वायरस से बचाव के लिए उत्तर-प्रदेश के सीमावर्ती गांवों में पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है, जिससे यहां इस बीमारी का कोई प्रकोप बाहर से ना आ सके।

डॉ अनिल सैनी, एसोसिएट डॉयरेक्टर, पशु पालन-कृषि विज्ञान केंद्र का कहना है कि अभी तक यहां लंपी स्किन डिजीज वायरस का कोई केस नहीं आया है, लेकिन इससे पहले बचाव के उद्​देश्य से 12 हजार गायों को गोट पॉक्स वैक्सीन का टीकाकरण किया जा चुका है। वायरस से ग्रसित पशुओं के दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.