फर्जी प्रमाण-पत्र से मिल गई नौकरी
फर्जी दस्तावेज और दो बार अलग-अलग कोटा से भर्ती शिक्षक के मामले में डीईओ ने जांच सौंप दी है।
संवाद सहयोगी, रुद्रपुर : फर्जी दस्तावेज और दो बार अलग-अलग कोटा से भर्ती शिक्षक के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के निर्देश दिए हैं। कहा है कि इस मामले में जांच के बाद संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ ही प्रशासनिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। उन्होंने उप जिला शिक्षा अधिकारी को जांच सौंप एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।
शिक्षक भर्ती में धांधली के कई मामले एक-एक कर उजागर हो रहे हैं। अब फर्जी दस्तावेज व अलग-अलग कोटे से नौकरी पाने का मामला सामने आया है। हैरानी की बात है कि अफसर भी इन मामलों में पूछने पर बगलें झांकने लगते हैं। ऊधम¨सह नगर के सितारगंज में वर्ष 2005 में एक व्यक्ति अनुसूचित जाति कोटा से भर्ती हो गया था। दो माह तक कार्य करने के बाद जिले के फुलसुंगा स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में स्थानांतरण करा लिया। फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाने की शिकायत पर कार्रवाई से बचने के लिए उसने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। हैरानी तो तब हो गई, जब उसी अध्यापक ने फिर से वर्ष 2009 में सामान्य कोटे से नौकरी पा ली। वर्तमान में शिक्षक फुलसुंगा स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में तैनात है। इन सभी मामलों में शिकायतकर्ता ने कई शिकायत की है। शुक्रवार को डीईओ ने उप जिला शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच सौंप एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।
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दो बार ली एक ही डिग्री
सूचना के अधिकार से पता चला कि आरोपित शिक्षक ने नौकरी पाने के लिए दो बार विशिष्ट बीटीसी की डिग्री ली। पहली बार भीमताल से तो दूसरी बार रुद्रपुर से डिग्री ली गई।
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विभाग की संलिप्तता के आसार
वर्ष 2005 में एससी कोटे से हुई शिक्षकों की भर्ती मामले में विभाग के कई कर्मचारियों की संलिप्तता हो सकती है। आरोपित शिक्षक ने जिस जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाई है, उसका रिकार्ड न तो तहसील में है और न ही सितारगंज खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में।
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वर्जन:
मामला बहुत पुराना है। सबसे पहली भर्ती किस आधार पर की गई, इस बारे में जांच की जाएगी। इसके बाद दूसरी भर्ती के बारे में देखा जाएगा। इसके लिए निर्देश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।