द्वितीय विश्व युद्घ के जाबांज रामदत्त का निधन
संवाद सहयोगी, खटीमा : द्वितीय विश्व युद्घ में शामिल रहे सिपाही रामदत्त जोशी का निधन हो गया
संवाद सहयोगी, खटीमा : द्वितीय विश्व युद्घ में शामिल रहे सिपाही रामदत्त जोशी का निधन हो गया है। वे 97 वर्ष के थे। उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें वीरचक्र से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर विभिन्न संगठनों के लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की है।
मूलरूप से पिथौरागढ़ बलुवाकोट के रहने वाले रामदत्त जोशी पुत्र श्याम दत्त जोशी पिछले 30 वर्षो से आदर्श कालोनी डिग्री कॉलेज रोड पर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। सोमवार को हार्ट अटैक से जोशी का निधन का हो गया। जोशी फस्ट पैरा सेना में तैनात थे। वर्ष 1946 में वह सेवानिवृत हो गए थे। जोशी वर्ष 1939 से 1945 में चले द्वितीय विश्व युद्घ के मलाया ऑपरेशन में सेना का हिस्सा रहे थे। इस दौरान वह वर्मा, इंग्लैंड, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जापान, थाइलैंड देशों में भी रहे। जहां उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कालापानी की सजा दी थी। देश के आजाद होने के बाद उन्हें रिहा किया गया। वे अपने पीछे पुत्र शंकर दत्त जोशी, कमलापति जोशी के अलावा पौत्र जगदीश, मनोज, महेश, डॉ. ललित जोशी व प्रपौत्र वंश को छोड़ गए। उनकी पत्नी नंदा देवी का वर्ष 2006 में निधन हो गया था। इधर उनकी शारदा घाट बनबसा में अंत्येष्टि कर दी गई। इस मौके पर दिवान सिंह सैल्ला, ठाकुर भगवान सिंह, नंदन सिंह खड़ायत, गणेश मुडेला, शिवशंकर भाटिया, गोविंद चड्डा, दिवान सिंह, भूपेंद्र बोरा, कृष्णानंद जोशी, भगवान धामी, बलवंत नगरकोटी, दीपक ओझा, शंकर दत्त जोशी आदि मौजूद थे।