हरिपुरा जलाशय की सुरक्षा दीवार धराशायी
-गुरु वार को आई तेज आंधी और बारिश जलाशय पर पड़ी भारी -सुनामी जैसी हवाओं की जद में आया
-गुरु वार को आई तेज आंधी और बारिश जलाशय पर पड़ी भारी
-सुनामी जैसी हवाओं की जद में आया पिचिंग का बड़ा हिस्सा
फोटो संख्या-12यूडीएनपी 101
चित्र परिचय:आंधी और बारिश की जद में आई पिचिंग के धराशायी हुए पत्थर संवाद सूत्र, गूलरभोज : बीते गुरु वार को आई तेज आंधी और बारिश ने हरिपुरा जलाशय की सुरक्षा व्यवस्था की कलई खोल दी। आंधी के तेज प्रवाह में जलाशय की पिचिंग के बड़े भाग को जद में ले लिया। शुक्रवार को मामले की जानकारी मिलते ही महकमे के जिम्मेदार डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुट गए।
हरिपुरा और बौर जलाशय के मध्य क्षेत्र में बना कट-प्रक्षेत्र दोनों जलाशय का संधि स्थल है। इसकी एक दीवार हरिपुरा तो दूसरी बौर जलाशय की तरफ मिलती है। गुरु वार दोपहर आंधी और बारिश से पानी से लबालब भरे जलाशय की लहरें सुनामी जैसी उठती दिखीं। शुक्रवार सुबह नियमित गस्त के दौरान कर्मचारियों को जलाशय के माइल स्टोन नंबर 9.5 से कॉमन फ्लेंक तक पिचिंग में लगे पत्थर पानी में गिरे पड़े और तकरीबन पूरी पिचिंग ध्वस्त दिखी तो उनके होश उड़ गए। सूचना पर सिंचाई विभाग के एसडीओ विशाल प्रसाद और जेई प्रेम गंगोला ने मौके का निरीक्षण किया। इस संबंध में बात करने पर एसडीओ का फोन स्विच ऑफ मिला जबकि जेई ने फोन उठाने की जहमत नहीं उठाई।
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डेढ़ साल से नहीं हुई मरम्मत
सूत्रों के मुताबिक जिस क्षेत्र की पिचिंग ध्वस्त हुई है, वहां अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। बताया गया कि उक्त क्षेत्र में लगी पिचिंग की मरम्मत करीब डेढ़ साल पहले की गई थी। जबकि पिचिंग की मरम्मत के नाम पर हर साल जलाशय में बड़ा बजट खपता है। इंसेट-
जलाशय टूटा तो निपट जाएगा गदरपुर और रामपुर
बौर जलाशय अपनी औसत पचास साल आयु पूरी कर चुका है। पानी भी इस वक्त पूरी क्षमता से भरा है। जलाशय की हर साल होने वाली पिचिंग में धांधली की बात भी जब-तब सामने आती है। इसकी मरम्मत में ठेकेदार आरबीएम की बजाय मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं। अधिकांश प्रेशर रिलीज वाटर (पीआरडब्ब्ल्यू) भी चोक है। ऐसे में जरा सी चूक जलाशय के मुहाने पर यूएसनगर के गदरपुर और उप्र के रामपुर पर भारी पड़ सकती है।