पहियों से नहीं हौसले से भरते हैं जीत की उड़ान
अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर चैंपियनशिप में बांग्लादेश, भारत और नेपाल की त्रिकोणीय प्रतियोगिता रुद्रपुर में चल रही है। दिव्यांग खिलाड़ी अपनी बेबसी को ताकत बना जमाने से कदमताल कर रहे है।
रुद्रपुर, उधमसिंह नगर [जेएनएन]: आसमा की जिद है जहां बिजलियां गिराने की...अपनी भी जिद है वहीं पर आशियाना बनाने की। कुछ ऐसी ही जिद पाल कर ख्वाहिशों की पिच पर खुद को साबित करने में खिलाड़ी मशगूल हैं। एक के बाद एक चौके-छक्के लगाते है तो हर सक्षम की आंखे खुली रह जाती है।
अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर चैंपियनशिप में बांग्लादेश, भारत और नेपाल की टीम का मैच रुद्रपुर के गांधी मैदान में चल रहा है। यह खेल की पिच जरूर है, लेकिन इस पिच से जहां कई उम्मीदें हैं तो सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा भी है। अक्षम होने पर जहां लोग कुदरत को कोसते है, वहीं यह दिव्यांग खिलाड़ी अपनी बेबसी को ताकत बनाकर जमाने से कदम से कदम मिला रहे है।
कई खिलाड़ी ऐसे भी है जिनके दोनों पैर नहीं है तो कुछ के सिर्फ एक हाथ ही हैं, लेकिन जब वह मैदान में बाल कैच करने को व्हीलचेयर से उछल कर छलांग लगाते है तो हर कोई दांतो तले उंगलियां दवा जाता है। उनके जोश को देखकर दर्शकों की तालियां खुद करतब करने लगती है। उत्तराखंड की धरती पर यह पहला मैच है जो इतिहास रचने जा रहा है।
कैसे करते है बैटिंग
सबसे पहले बल्लेबाज व्हीलचेयर पर बैठकर बैट हाथों में थम लेते है। इसके बाद दूसरी तरफ से बॉलर व्हील चेयर पर बैठकर बॉल फेकता है। शॉट के बाद दोनों बल्लेबाज व्हील चेयर पर ही रन के लिए दौड़ लगा देते है।
अनूठा है कैच मूमेंट
दिव्यांगों के लिए यह मैच खतरे से कम नहीं है। कई बार कैच के दौरान उनकों चोटे भी आ जाती हैं, लेकिन जो जख्म कुदरत ने दिया है उसके सामने यह कुछ भी नहीं। हवा में जब बॉल उछलती है तो खिलाड़ी बेपरवाह होकर हवा से बाते करने लगते है, व्हीलचेयर से ही छलांग लगा देते है और बाल कैच करते है। उनके इसी अंदाज के सभी कायल है।
फील्डिंग में गजब का हौसला
फील्डिंग में उनका मनोबल काम करता है। जब बात चौके छक्के की आती है तो गेंदो को रोकने का प्रयास गज़ब का है। बाल को आता देख चेयर से छलांग लगा देते हैं। मिट्टी में लोट कर बाल को झपट्टा मार कर रोककर प्रतिद्वंद्वी टीम को शिकस्त देते है।
सारा खेल हौसले का है
उत्तराखंड डिसेबिल सोसाइटी के संयोजक हरीश चौधरी का कहना है पूरा खेल हौसले का है। शरीर के किसी अंग में सिर्फ चोट लग जाने से ही हम बेचैन हो जाते हैं, जबकि खिलाड़ी आजीवन उसको भुगतता है। ऐसे में लंबी छलांग लगाना या फिर अचानक चेयर से छलांग लगा बाल पर झपट्टा मारना आसान नहीं है। सिर्फ जीतने की उम्मीद ही उनमें हौसला भर रही है।
लक्ष्य के आगे अपंगता नहीं दिखती
बांग्लादेश के कप्तान मोहसिन कहते है कि जब सामने प्रतिद्वंद्वी टीम का लक्ष्य होता है तो अपंगता काफूर हो जाती है। उस वक्त प्रैशर रहता है कि कैसे स्कोर बढ़ाना है।
पहिये नही हौसले पर चलते है
भारतीय टीम के कप्तान अतुल श्रीवास्तव कहते है कि पहिये नहीं हौसलों पर चलते है। अक्षम होकर भी किसी से कम नही है। हर वह काम कर सकते है जो सक्षम करते है।
अड़चनों से बढ़ती है हिम्मत
नेपाली कप्तान रियाल हिमाल कहते है कि कुछ ऐसे भी है जो मुश्किलो से घबराकर अरमानों को दबा देते है, लेकिन हमें इन मुश्किलो से हिम्मत मिलती है। बाधा हमे डिगा नहीं सकती।
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