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किसान की मेहनत का फायदा उठाता है कारपोरेट

भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां के केंद्रीय अध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य जोगिंदर सिंह उग्राहां ने कहा कि देश के किसान फसल उगाते हैं और फायद कारपोरटे जगत के लोग उठाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 12:13 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 12:13 AM (IST)
किसान की मेहनत का फायदा उठाता है कारपोरेट

जासं, काशीपुर : भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां के केंद्रीय अध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य जोगिदर सिंह उग्राहां ने कहा कि देश के किसान फसल उगाते हैं और फायदा कारपोरेट जगत के लोग उठाते हैं। किसान को अगर उसकी फसल का सही दाम मिलने लगे तो वह भी खुशहाल हो जाए।

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उग्राहां ने शनिवार को बांसखेड़ा में किसान सम्मेलन को संबोधित करने के बाद यहां मंडी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों का पुरजोर विरोध किया। कहा अगर तीनों कृषि कानून लागू हो गए तो कारपोरेट जगत के लोग सारा अनाज स्टोर कर लेंगे और फिर अपनी शर्तो पर उसे बेचेंगे। उन्होंने कहा यह कानून जमाखोरी को छूट देने वाले हैं इसलिए काले हैं। देश के लिए ऐसी स्थिति भयावह होगी जब अनाज पर भी कारपोरेट का नियंत्रण हो जाएगा। उग्राहां ने कहा सरकार कहती है कि वह एमएसपी लगातार बढ़ा रही है, लेकिन इसके बाद भी वास्तविक रेट किसानों को नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में जो एमएसपी किसानों को मिल रही है वह बहुत कम है। उन्होंने कहा कर्जमाफी का लाभ किसानों की जगह उद्योगपतियों को दिया जा रहा है।

इस दौरान जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान पांच सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन किया गया है। जिसका अध्यक्ष बांसखेड़ानिवासी अवतार सिंह को बनाया गया है। इसी तरह उन्हें महासचिव, जगजीत रंधावा को उपाध्यक्ष, राजविदर सिंह को सचिव और दिलदीप सिंह को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

इससे पहले उग्राहां ने बांसखेड़ा गांव में किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एकता के साथ किसान हित की लड़ाई लड़नी है। कहा कि हमारी कमेटी का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा नहीं बनेगा। उन्होंने कमेटी में शामिल होने वाले किसानों से साफ तौर पर कहा कि जो लोग हमारे साथ लंबे समय तक चल सकते हैं वही हमारे साथ जुडे़ं। उग्राहां ने कहा जो भी संगठन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं वह हमारे साथी हैं। किसानों को अपनी स्थिति सुधारने के लिए लड़ना होगा।


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