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'मुझे भी गोली लगी है' बोलते ही अचेत हो गया बहादुर

संवाद सहयोगी बाजपुर/हल्द्वानी हाइटेक हथियारों से लैस तस्करों को पकड़ने के लिए वन विभ

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 11:26 PM (IST)
'मुझे भी गोली लगी है' बोलते ही अचेत हो गया बहादुर
'मुझे भी गोली लगी है' बोलते ही अचेत हो गया बहादुर

संवाद सहयोगी, बाजपुर/हल्द्वानी : हाइटेक हथियारों से लैस तस्करों को पकड़ने के लिए वन विभाग की छह सदस्यीय टीम केवल एक बंदूक लेकर गई थी। अफसरों की इस लापरवाही का खामियाजा एक वन बीट वाचर को जान देकर चुकाना पड़ा। तस्कर इतने दुस्साहसी थे कि टार्च की लाइट जलाते ही गोलियां चला दी। गोली लगते ही वन श्रमिक महेंद्र बोला कि उसके पैर में गोली लग गई है। इतने में बहादुर बोला, मुझे भी गोली गली है। यह कहते ही वह अचेत हो गया। पेट में गोली लगने से उसकी आंतें बाहर आ गई थी।

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शुक्रवार रात अफसरों को तस्करों के जंगल में खैर का पैर काटने की सूचना मिली। रात 12.04 बजे वनाधिकारी द्वारा मातहतों को सूचना दी गई कि दक्षिणी एन-1 क्षेत्र में चोरों द्वारा पेड़ काटा गया है। अफसरों के आदेश पर वन आरक्षी दीपक नेगी टीम के साथ रवाना हो गए। घटनास्थल से कुछ पहले नदी किनारे वनकर्मियों ने अपनी दोनों बाइक झाड़ियों में छिपा दी और पैदल रवाना हो गए। पांच मीटर दूर जंगल में खैर का पेड़ कटा मिला। समीप में ही एक प्लास्टिक के कट्टे में पानी की खाली बोतलें व रस्सी आदि रखी थीं। तस्करों के पेड़ लेने आने की संभावना पर टीम कुछ दूरी पर झांड़ियों में छिपकर बैठ गई। रात 2.10 बजे उत्तर-पश्चिम की ओर से आने वाली पगडंडी में लोगों के कदमों की आहट व मोबाइल की लाइट की हल्की रोशनी दिखाई दी। तस्करों के नजदीक आते ही वीट वाचर बहादुर सिंह चौहान ने टॉर्च की रोशनी डाली। उधर से तस्करों से भी मोबाइल की रोशनी डाली। वन कर्मियों के टॉर्च की रोशनी दोबारा डालते ही तस्करों ने सीधे दो फायर झोंक दिए।

बहादुर सिंह के अचेत होते ही वन आरक्षी अफसरों को फोन पर सूचित किया। उस समय डीएफओ व रेंजर के नेतृत्व की टीम जंगल से जाने वाले दूसरे रास्ते में तस्करों की घेराबंदी के लिए खड़ी थी। फोन आते ही अफसर टीम के साथ मौके पर दौड़े और दोनों को हल्द्वानी ले जाया गया।

इंसैट::

पेशेवर अपराधी है लक्खी

बाजपुर : न तस्कर लखविदर सिंह उर्फ लक्खी निवासी थापकनगला पेशेवर तस्कर है और कई सालों से इस कार्य में लिप्त है। बरहैनी वन रेंज में ही इसके खिलाफ आठ मामले दर्ज हैं, जबकि थाना केलाखेड़ा में आ‌र्म्स एक्ट आदि मुकदमे दर्ज हैं। बताया जाता है कि लक्खी की अगुवाई में कई लोग तस्करी कर रहे हैं। दोनों जनपदों की पुलिस इसकी तलाश की जा रही है।

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दो वर्ष में छह से अधिक बार हुआ वन कर्मियों पर हमला

बाजपुर : बेखौफ वन तस्करों के सामने वन विभाग का लाव-लश्कर बौना पड़ चुका है। दो वर्षों के बीच आधा दर्जन फायरिग की वारदातें हुई हैं। इसमें 31 दिसंबर 2017 को वन कर्मी पाला सिंह, 8 जून 2018 को मो. जान तस्करों की गोली से घायल हो चुके हैं।

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खैर तस्करी से मोटी आमदनी को लेकर बढ़ रहे अपराध

बाजपुर : बन्नाखेड़ा से लेकर पीपल पड़ाव आदि कई वन क्षेत्रों में खैर के जंगल हैं, जिसमें अन्य प्रजातियों के भी पेड़ हैं। तस्करों द्वारा इमारती लकड़ी सागोन व शीशम आदि के पेड़ काटे जाते हैं, लेकिन इनके दाम खैर की लकड़ी के बराबर नहीं होते। जिसके चलते तस्करों के लिए खैर की तस्करी पहली पसंद बनी हुई है। वर्तमान में हरियाणा, दिल्ली, गाजियाबाद के कुछ तस्करों का संपर्क स्थानीय तस्करों से है, जो मोटरसाइकिल व साइकिल आदि से पूरी रात-रात भर तस्करी कर दो से तीन दिन में एक ट्रक लकड़ी तैयार कर लेते है, जोकि लाखों रुपये की आमदनी का जरिया बन रहा है। लगातार हो रही मोटी आमदनी तस्करों का लालच के साथ ही अपराध भी बढ़ रहा है। यही कारण है कि समय-समय पर खूनी संघर्ष सामने आ रहे हैं।

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