Move to Jagran APP

सत्ता के आसन पर प्रशासन, नहीं डोलेगा अतिक्रमण का ¨सहासन

संवाद सहयोगी, रुद्रपुर : बाजार से अतिक्रमण हटाने को लेकर शुरू की गई कवायद को जोरदार

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 07:17 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 07:17 PM (IST)
सत्ता के आसन पर प्रशासन, नहीं डोलेगा अतिक्रमण का ¨सहासन
सत्ता के आसन पर प्रशासन, नहीं डोलेगा अतिक्रमण का ¨सहासन

संवाद सहयोगी, रुद्रपुर : बाजार से अतिक्रमण हटाने को लेकर शुरू की गई कवायद को जोरदार झटका लगा है। छह दिन की मोहलत के बाद सोमवार को एक बार फिर प्रशासन बैकफुट पर नजर आया। चिह्नीकरण के नाम पर मोहलत को बढ़ा दिया गया है। बाजार के निरीक्षण के बाद डीएम का दावा है कि अतिक्रमण हर हाल में हटेगा, पर इसके लिए नगर निगम पहले चिह्नीकरण कर सीमांकन करेगा। इसके बाद ही शहर से स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण का सफाया किया जाएगा। डीएम की इस घोषणा से एक बार फिर अतिक्रमणकारियों ने राहत की सांस ली है।

loksabha election banner

अतिक्रमण ने शहर की तस्वीर धुंधली कर दी है। जिधर देखो, उधर जाम। दुकानें सड़कों पर और कराहते लोग। ऐसे में प्रतिज्ञा दि ओथ संस्था की पहल काम आई। हाई कोर्ट में उसकी याचिका ने ऐसा असर दिखाया कि पूरा बाजार हिल गया। यहां तक कि डीएम और एमएनए तक हाई कोर्ट के निशाने पर आ गए। दोनों ही अफसरों को हाई कोर्ट ने अपने आदेश की अवमानना का दोषी माना और नोटिस जारी किए, लेकिन अफसरों को शायद कार्रवाई का डर नहीं। पहले व्यापारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए 15 अप्रैल तक का समय दिया गया और अब चिह्नीकरण के नाम पर एक और मौका दे दिया गया। सोमवार को डीएम डॉ. नीरज खैरवाल दलबल के साथ बाजार में घूमे। साथ में एमएनए जय भारत ¨सह, एसडीएम युक्ता मिश्रा और एएसपी स्वतंत्र कुमार भी थे। करीब ढाई किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के साथ ही उन्होंने पूरा माजरा समझा। भाजपा का पूरा कुनबा इस दौरान मौजूद रहा। एसएसपी डॉ. सदानंद दाते भी पहुंचे। तय किया गया कि अतिक्रमण को हटाने से पहले चिह्नीकरण किया जाएगा। इसके बाद कार्ययोजना बनेगी, तभी बाजार से स्थायी अतिक्रमण पर बुल्डोजर चल सकेगा। खाली होने वाली भूमि पर तत्काल निर्माण कराने की योजना तैयार की जाएगी। बड़ा सवाल यह है कि 10 अप्रैल को जब अतिक्रमण हटाने को अभियान का श्रीगणेश किया गया तो क्या वह आधी-अधूरी तैयारी के साथ था। अगर हां, तो छह दिन की मोहलत क्यों दी गई? और फिर जब मियाद पूरी हो गई तो क्यों चिह्नीकरण का बहाना कर अभियान टाल दिया गया। कुल मिलाकर प्रशासन इस मामले में पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आ रहा है।

-----------

कुछ को शर्म, अधिकांश बेशर्म

अतिक्रमण करने वाले कई दुकानदार और शोरूम मालिकों ने खुद ही अतिक्रमण तोड़ना शुरू कर दिया है। इसके विपरीत अधिकांश ऐसे भी हैं जो बेपरवाह हैं। वे नि¨श्चत हैं कि रफ्ता-रफ्ता मामला ठंडा हो जाएगा। 25 अप्रैल गुजरने के बाद प्रशासन बाजार की तरफ घूमकर भी नहीं देखेगा। इसी विश्वास के साथ वे जमे बैठे हैं। इनमें कई भाजपाई भी हैं। नाले के ऊपर उन्होंने अपना पूरा कारोबार फैला रखा है। सत्ताधारियों के साथ वह प्रशासनिक अफसरों से भी हाथ मिलाते नजर आते हैं। व्यापार मंडल में ऊंचा ओहदा है तो उनके प्रतिष्ठान की ओर भी किसी की नजर नहीं जा रही।

-----------

करोड़ों रुपये का व्यापार प्रभावित

अतिक्रमण हटेगा या नहीं, इसी ऊहापोह में बाजार पूरी तरह से डिस्टर्ब है। पिछले कई दिनों से व्यापार प्रभावित होने से करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। व्यापारियों का भी कहना है कि प्रशासन स्थिति स्पष्ट करें कि कार्रवाई होगी या नहीं। असमंजस में वह कारोबार में ध्यान नहीं दे पा रहे। बाहर से माल भी नहीं मंगवा रहे हैं।

-----------

सोमवार को निरीक्षण का मतलब

शहर में सोमवार को साप्ताहिक बंदी होती है। ऐसे में बंदी वाले दिन जिलाधिकारी के निरीक्षण पर भी सवाल उठे हैं। बाजार खुला होता तो अतिक्रमण का दायरा भी समझ में आता। सवाल यह उठता है कि जिलाधिकारी बाजार में क्या देखने आए थे। मोहलत देनी ही थी तो ऐसे भी दी जा सकती थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.