एनएच 74 के बाद 87, चूक-लापरवाही या साजिश
कंचन वर्मा, रुद्रपुर चूक-लापरवाही या सुनियोजित साजिश। एनएच-74 के बाद अब एनएच-87 को लेकर सवा
कंचन वर्मा, रुद्रपुर
चूक-लापरवाही या सुनियोजित साजिश। एनएच-74 के बाद अब एनएच-87 को लेकर सवाल उठे हैं। कटघरे में एनएचएआइ की सर्वे कंपनी आर्चट्रैक कंस्ट्रक्शन कोलकाता है। कोशिश थी एनएच की जद में नहीं आ रही भूमि और स्ट्रक्चर पर भी मुआवजा दिलाने की। अवार्ड भी बन गए पर जांच में खेल से परदा हट गया। करोड़ों का भुगतान रोक दिया गया। ऐसे में एक बार फिर जिम्मेदारों की गर्दन फंसते-फंसते बची है। अब दोबारा जांच कर ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है, वहीं दो सौ से ज्यादा ऐसे खसरा नंबर जो अधिग्रहण में शामिल ही नहीं किए गए, उनका अवार्ड बनवाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच अभी थमी भी नहीं है कि एनएच-87 में गड़बड़झाला सामने आया है। यहां भी एनएचएआइ की सर्वे कंपनी आर्चट्रैक कंस्ट्रक्शन सवालों में है। कंपनी की लापरवाही कहें या फिर चूक, बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रही है। सर्वे के दौरान खसरा अधिग्रहण में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। कंपनी की सर्वे रिपोर्ट पर कुछ अवार्ड ऐसे बना दिए गए जो भूमि या स्ट्रक्चर एनएच की जद में आ ही नहीं रहे थे। एक के बाद एक कर इस तरह के दो 20 से भी ज्यादा मामले पकड़ में आए हैं। खसरा नंबरों का फायदा उठाते हुए ऐसे मामलों में अवार्ड तक बना दिए गए। यानी फर्जी तरह से लोगों को मुआवजा दिलाने की कोशिश की गई। हालांकि मामला पकड़ में आने के बाद एसएलएओ कार्यालय से एनएचएआइ को अवगत कराया गया जिस पर भुगतान रोक दिया गया। एसएलएओ कार्यालय ने ऐसे लोगों को मुआवजे के लिए नोटिस भी जारी नहीं किए। वहीं सर्वे के दौरान दो सौ से अधिक खसरा नंबरों को छोड़ा जाना भी संदिग्ध है। इसके पीछे मकसद को लेकर सवाल उठे हैं। अब ऐसे नंबरों को दोबारा शामिल कर अवार्ड बनाए जा रहे हैं। यह मामला तब पकड़ में आया है जबकि एनएच-74 मुआवजा घोटाले में एसआइटी चार पीसीसी समेत 20 लोगों को जेल भेज चुकी है और कई अफसर और कर्मचारी अभी निशाने पर हैं। क्योंकि अधिकारी इसके बाद फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं तो सर्वे कंपनी की कारस्तानी पकड़ में आ गई।
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सर्वे में गड़बड़ी सामने आई है। बीस से अधिक मामले ऐसे हैं जिनमें एनएच की जद में भूमि और स्ट्रक्चर न आने के बावजूद सर्वे कंपनी ने अवार्ड बना दिए। हमने ऐसे मामलों में एनएचएआइ को अवगत करा दिया है। वहीं मुआवजे के लिए ऐसे लोगों को भेजे जाने वाले नोटिस भी रोक दिए गए हैं, साथ ही सर्वे कंपनी की लापरवाही से जो खसरा नंबर छूट गए हैं उनके अवार्ड बनाए जा रहे हैं।
एनएस नबियाल, एसएलएओ, एनएच-87
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ऐसे मामले हमारे संज्ञान में आए हैं। उन्हें संशोधित कराया जा रहा है। किसी भी ऐसे व्यक्ति को मुआवजा नहीं दिया जाएगा, जिसकी भूमि या स्ट्रक्चर एनएच की जद में न आ रहा हो।
अनुज कुमार ¨सह, उप प्रबंधक तकनीकी, एनएचएआइ