पेयजल संकट बन रहा पलायन का सबब
संवाद सूत्र, कंडीसौड़: प्रत्येक गांव के लिए लाखों की अलग योजना बनाई जाती है, लेकिन सामूहिक पेयजल योजन
संवाद सूत्र, कंडीसौड़: प्रत्येक गांव के लिए लाखों की अलग योजना बनाई जाती है, लेकिन सामूहिक पेयजल योजना पर कभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया जाता है, जबकि क्षेत्र की जनता सामूहिक पं¨पग पेयजल योजनाओं की मांग निरंतर करती है। ऐसी ही स्थिति थौलधार विकास खंड की नगुण पट्टी एवं गुसाईं पट्टी की भी है, जहां दर्जनों गांव प्राय: सूखे की स्थिति में पेयजल संकट से जूझते रहते हैं। क्यारदा सामूहिक पं¨पग पेयजल योजना एवं कांगुड़ा सामूहिक पं¨पग पेयजल योजना की वर्षों से मांग की जा रही है।
थौलधार विकास खंड की नगुण पट्टी के भेटी, मंज्याड़ी, जामणी, बयाड़गाव, गुसाई पट्टी के ढरोगी, नकोट, नौली, कोशल आदि गांव गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। नगुण क्यार्दा क्षेत्र के क्षेत्र पंचायत सदस्य राम ¨सह बुढान का कहना है कि नगुण पट्टी क्षेत्र के क्यारदा, पोखरी, गैर, बयाड़ गांव, डडोली, जामणी, भेटी, मंजियाड़ी, पावखाल, नागराजाधार आदि गांव में पेयजल संकट बना रहता है। गर्मियां शुरू होते ही हैंडपंप भी जवाब दे देते हैं। पेयजल स्त्रोत सूख जाते हैं। गांव के पास कोई प्राकृतिक स्त्रोत नहीं है। मीलों दूर या फिर गाड़ियों या खच्चरों से पानी ढुलान करना पड़ता है। गर्मी आने से पूर्व लोग अपने पशुओं को बेच देते हैं। यदि यह पं¨पग पेयजल योजना बना दी जाती है, तो गांव में रह रहे लोग पशुपालन और फल-सब्जी आदि का रोजगार भी सुगमता से कर लेंगे एवं गांव सरसब्ज रहेंगे। पलायन रोकने में सहायक सिद्ध होंगे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार मंत्रियों से लेकर शासन प्रशासन तक पं¨पग पेयजल योजना के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। बीडीसी से कई बार प्रस्ताव पारित किए गए हैं, ¨कतु इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रत्येक गांव के लिए अलग से योजना बनाने के नाम पर लाखों रुपये बर्बाद किए जा रहे हैं। गर्मी आने पर वह योजनाएं भी धोखा दे जाती हैं। सरकार खच्चरों व टैंकर से पेयजल आपूर्ति कर लाखों रुपये खर्च करती है। मैंडखाल से क्षेपं सदस्य लता देवी, पूर्व क्षेपं सदस्य बचन ¨सह पडियार का कहना है कि गुसाई पट्टी के लिए कांगुडा पं¨पग पेयजल योजना की वर्षों से मांग की जा रही है। यदि यह योजना बन जाती है तो नकोट, बगोडी़, खमोली, नौली, ढरोगी, कौशल, इंडियान, मैंडखाल, भंडार्की, धमाड़ी, रमोलसारी आदि डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों को सामूहिक पेयजल योजना का सीधा लाभ मिल सकता है। यह सभी गांव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। गर्मियों में तो क्षेत्र में पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है। सरकार गर्मियों में पेयजल आपूर्ति के नाम पर खच्चरों और टैंकरों को लाखों का भुगतान करती है। ¨कतु स्थाई पं¨पग पेयजल योजनाओं के लिए कोई नीति तैयार न करना पहाड़ में पलायन का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता आलोक कुमार का कहना है कि सामूहिक पं¨पग पेयजल योजनाओं के लिए सरकार से निर्देश प्राप्त होने पर ही योजनाओं पर कार्य किया जा सकता है।