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उत्‍तराखंड के बूढ़ाकेदार में धूमधाम से मनाई जाती मंगशीर की दीपावली, आकर्षण का केंद्र रहता देवता के साथ दौड़

उत्‍तराखंड के टिहरी जनपद के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में कार्तिक माह की दीपावली के ठीक एक माह बाद मंगशीर की दीपावली मनाई जाती है। महानगरों में रहने वाले ग्रामीण इसके लिए गांव आते हैं। इस दौरान देव निशानों के साथ दौड़ आकर्षण का केंद्र रहती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 19 Nov 2022 03:41 PM (IST)Updated: Sat, 19 Nov 2022 03:41 PM (IST)
उत्‍तराखंड के बूढ़ाकेदार में धूमधाम से मनाई जाती मंगशीर की दीपावली, आकर्षण का केंद्र रहता देवता के साथ दौड़
Uttarakhand Culture उत्‍तराखंड के टिहरी जनपद के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर की दीपावली (Mangsir Diwali) धूमधाम से मनाई जाती है

जागरण संवाददाता, टिहरी। Uttarakhand Culture उत्‍तराखंड के टिहरी जनपद के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर की दीपावली (Mangsir Diwali) धूमधाम से मनाई जाती है। महानगरों में रहने वाले ग्रामीण कार्तिक की दीपावली के बजाय मंगशीर की दीपावली के लिए गांव आते हैं। इस दीपावली को मनाने की पीछे यहां के ईष्ट देवता गुरु कैलापीर हैं। उन्‍हीं के नाम से यहां पर मेला भी होता है। इस बार 22 और 23 नवंबर को बग्वाल (दीपावली) मनाई जाएगी, जबकि 24 नवंबर से तीन दिवसीय गुरु कैलापीर मेला शुरू होगा।

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दीपावली के एक माह बाद मानते है यह बग्‍वाल

कार्तिक की बग्वाल (दीपावली) के ठीक एक माह बाद बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर की बग्वाल मनाई जाती है। बग्वाल के लिए 1001 भैले तैयार किए जाते हैं। इसे गांव में पास खेतों में सामूहिक रूप से खेला जाता है।

आकर्षण का केंद्र रहती है देव निशानों के साथ दौड़

24 नवंबर को गुरु कैलापीर देवता की झंडी को मंदिर से बाहर निकाला जाएगा। इसके बाद ग्रामीण देव निशान के साथ खेतों में दौड़ लगाएंगे। यह ऐतिहासिक दौड़ आकर्षण का केंद्र रहती है। देवता का खेत मानते हुए इन खेतों में कोई मकान नहीं बनाता है।

  • क्षेत्र की समृद्धि और अच्छी फसल के लिए यह दौड़ होती है। इस दौड़ को देखने के लिए अन्य क्षेत्रों से भी ग्रामीण आते हैं।

यह है मान्‍यता

मान्‍यता है कि आज से करीब 300 साल पहले हिमाचल से क्षेत्र का ईष्ट देवता गुरु कैलापीर गढ़वाल भ्रमण पर आए थे। उन्‍होंने विभिन्न जगहों पर भ्रमण किया। उन्‍हें बूढ़ाकेदार क्षेत्र का जंदवाड़ा नामक जगह भा गई। देवता ने वहीं निवास करने का निर्णय लिया। उस समय वह मंगसीर (मार्गशीर्ष) का महीना था।

  • इससे यहां के ग्रामीण काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने छिलकों को जलाकर देवता का स्वागत किया। तभी से मंगसीर माह में बूढ़ाकेदार क्षेत्र में दीपावली मनाई जाती है।
  • यह उत्‍सव दो दिन तक चलता है। इसके बाद तीन दिन का मेला भी आयोजित होता है।

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पहले दिन मंदिर से बाहर निकलेंगे देवता

बलिराज यानी मेले के पहले दिन गुरु कैलापीर देवता मंदिर से बाहर निकलकर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं। स्नान आदि के बाद देवता बाहर निकाले जाते हैं। इसके बाद फिर खेतों में दौड़ लगाने को ले जाए जाते हैं।

सूर्य अस्त होने से पहले करते हैं मंदिर में प्रवेश

देवता के मंदिर से बाहर निकलने और प्रवेश का समय तय होता है। देवता दोपहर दो बजे देवता मंदिर से बाहर निकलते हैं। सूर्य अस्त होने से पहले वे  मंदिर में प्रवेश करते हैं। 

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