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199 पाउंड में बिक रहा महारानी विक्टोरिया का पत्र!

एक विदेशी साइट पर महारानी विक्टोरिया की ओर से शहीद गबर सिंह नेगी को मिला प्रशस्ति पत्र बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसका मूल्य 199 पाउंड रखा गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 09:51 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 04:48 AM (IST)
199 पाउंड में बिक रहा महारानी विक्टोरिया का पत्र!
199 पाउंड में बिक रहा महारानी विक्टोरिया का पत्र!

नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: प्रथम विश्व युद्ध के महानायक विक्टोरिया क्रास से सम्मानित शहीद गबर सिंह नेगी को महारानी विक्टोरिया की ओर से मिला प्रशस्ति पत्र इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। एक विदेशी साइट पर यह पत्र बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसका मूल्य 199 पाउंड (करीब 16800 रुपये) रखा गया है।

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शहीद गबर सिंह के पोते और पूर्व सैनिक कमल सिंह ने बताया कि उन्हें भी इसकी जानकारी मिली है। बोले, 'पत्र की एक मूल प्रतिलिप मेरे पास और दूसरी लंदन में है। मैं नहीं जानता कि यह सही है या गलत, लेकिन सिर्फ इतना चाहता हूं कि मेरे दादा जी की शहादत से जुड़ी निशानियों का दुरुपयोग न हो।'

उन्होंने बताया कि वेबसाइट प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े दस्तावेजों की बिक्री कर रही है। इन्हीं में वह पत्र भी शामिल है जिसे महारानी विक्टोरिया ने भेजा था। दूसरी ओर टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।

उपेक्षा से आहत हैं परिजन

दादा की उपेक्षा से आहत कमल सिंह कहते हैं वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गांव के पुराने मकान में एक संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी, लेकिन बीते छह साल में इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया गया। चंबा से गांव को जोडऩे के लिए ढाई किलोमीटर सड़क बनाने का वायदा भी किया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

फ्रांस के न्यू चैपल में हुए थे शहीद

टिहरी जिले में चंबा ब्लॉक के मज्यूड़ गांव में 21 अप्रैल 1885 में जन्मे गबर सिंह नेगी ने गढ़वाल राइफल भर्ती हुए और वर्ष 1915 में उनकी बटालियर को फ्रांस के न्यू चैपल में मोर्चे पर भेजा गया। इस मोर्चें पर जर्मनों से लड़ते हुए 10 मार्च 1915 को शहीद हुए। उनकी वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने विक्टोरिया क्रास से सम्मानित किया। 

विक्टोरिया क्रास शहीद की पत्नी सतूरी देवी के पास था। जनवरी 1984 में सतूरी की मृत्यु के बाद मेडल को गढ़वाल राइफल के मुख्यालय लैंसडौन (जिला पौड़ी गढ़वाल) स्थित संग्रहालय में रख दिया गया। पत्र और कुछ पदक अभी भी उनके के पोते के पास हैं। 

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